कालिका मंदिर हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक रहा है

उत्तर प्रदेश में इटावा के लखना स्थित कालिका देवी का मंदिर मुगलकाल से ही हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक रहा है;

Update: 2018-03-17 13:37 GMT

इटावा। उत्तर प्रदेश में इटावा के लखना स्थित कालिका देवी का मंदिर मुगलकाल से ही हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक रहा है जिसका प्रधान सेवक आज भी दलित ही होता है। 

कालिका देवी का मंदिर मुगल काल से हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक रहा है। द्वापर युग के महाभारतकाल के इतिहास को आलिंगन किए ऋषियों की तपोभूमि यमुना-चंबल समेत पांच नदियों के संगम पर बसी ऐतिहासिक नगरी लखना में स्थापित मां कालिका देवी का मंदिर देश के कोने-कोने में प्रसिद्ध है। लखना को प्राचीनकाल में स्वर्ण नगरी के नाम से जाना जाता था । 

यह मंदिर नौ सिद्धपीठों में से एक है। मंदिर परिसर में सैयद बाबा की दरगाह भी स्थापित है। मान्यता है कि दरगाह पर सिर झुकाए बिना किसी की मनौती पूरी नहीं होती। मंदिर धर्म, आस्था, एकता, सौहार्द, मानवता तथा प्रेम की पाठशाला है। चैत्र तथा शारदेय नवरात्रि में यहां बड़ा मेला लगता है।

मेले में देश के दूरदराज से आए श्रद्धालु अपनी मनौती मांगते हैं। कार्य पूर्ण होने पर ध्वजा, नारियल, प्रसाद एवं भोज का आयोजन श्रद्धाभाव से करते हैं ।

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