जेएनयू देशद्रोह मामले में दिल्ली पुलिस से जवाब तलब

अदालत ने पुलिस से सवाल किया कि उसने जेएनयू देशद्रोह मामले में पूर्व छात्र नेताओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए राज्य सरकार से मंजूरी लिए बिना जल्दबाजी में आरोपपत्र क्यों दाखिल किया;

Update: 2019-03-11 16:52 GMT

नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने शहर की पुलिस से सवाल किया कि उसने जेएनयू देशद्रोह मामले में पूर्व छात्र नेताओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए राज्य सरकार से मंजूरी लिए बिना जल्दबाजी में आरोपपत्र क्यों दाखिल किया।

मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपक शेरावत ने पुलिस से यह सवाल तब पूछा, जब सरकारी वकील ने उन्हें बताया कि सक्षम प्राधिकारी से मुकदमा चलाने के लिए स्वीकृति प्राप्त करने में दो से तीन महीने लगेंगे।

शेरावत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 29 मार्च तय की और दिल्ली पुलिस से रिपोर्ट मांगी।

पिछली सुनवाई में, अदालत ने दिल्ली सरकार से कहा था कि वह मामले में आगे बढ़ने के लिए पुलिस को अनुमति देने में देरी न करे। 

यह मामला जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के खिलाफ फरवरी, 2016 में आयोजित एक कार्यक्रम से जुड़ा है। 

आरोपपत्र 14 जनवरी को दाखिल किया गया था। इसमें जेएनयू के पूर्व छात्र नेताओं- कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य और सात कश्मीरी छात्रों को आरोपी बनाया गया है। 

कन्हैया और खालिद दोनों ने आरोपपत्र दाखिल किए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा है कि 'यह आम चुनाव से पहले मोदी सरकार द्वारा 'राजनीति से प्रेरित' और लोगों का ध्यान बंटाने की मोदी सरकार की चाल है।' 

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