जेएनयू : साबरमती होस्टल के बाहर चिदंबरम सीएए, एनआरसी पर बोले

जेएनयू में साबरमती हॉस्टल के बाहर एनएसयूआई ने सीएए, एनआरसी और एनपीआर को लेकर एक कार्यक्रम को आयोजित किया गया, जिसको पी.चिदंबरम ने वहां मौजूद छात्रों को इस कानून को लेकर संबोधित किया;

Update: 2020-02-14 00:38 GMT

नई दिल्ली। जेएनयू में साबरमती हॉस्टल के बाहर एनएसयूआई ने सीएए, एनआरसी और एनपीआर को लेकर एक कार्यक्रम को आयोजित किया गया, जिसको पी.चिदंबरम ने वहां मौजूद छात्रों को इस कानून को लेकर संबोधित किया। चिदंबरम ने कहा कि "एनपीआर एनआरसी और सीएए तीनों अलग हैं लेकिन तीनो इंटरकनेक्टेड है, संविधान में नागरिकता का प्रावधान है और पूरे विश्व में हर जगह देश के अंदर रहने वाले नागरिकों को नागरिकता का प्रावधान होता है अगर किसी पिता, ग्रैंड पेरेंट्स इंडिया में रह चुके हैं उनके बच्चे यहीं के नागरिक होते हैं।"

चिदंबरम ने कहा कि बाबा साहेब द्वारा तीन महीने का व़क्त लगा था संविधान में नागरिकता के अनुच्छेद को बनाने में लेकिन 8 दिसंबर को सीएए ड्राफ्ट हुआ, अगले दिन लोकसभा में पास किया गया और 11 दिसंबर को राज्यसभा में पास किया गया, जबकि बाबा साहेब को 3 महीने लगे थे।

चिदंबरम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि कुछ दिनों में मोदी यूनिवर्सिटी होगा और और जूनियर अमित शाह यूनिवर्सिटी होग।"

उन्होंने कहा कि सिटिजनशिप को टेरिटरी बेस की जगह रिलीजियस बेस पर दिया जा रहा है और कई देशों में धर्म के आधार पर नागरिकता दी जाती है, लेकिन भारत इस आधार पर नहीं बना था, बीजेपी ने तीन देशों को अपने नागरिक के आधार पर चुना, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान हमारा नेबर है तो भूटान, म्यांमार, चीन, श्रीलंका, नेपाल क्या हमारे पड़ोसी नहीं हैं? अगर अल्पसंख्यकों के रिलिजियस परसिक्यूशन पर ही नागरिकता दे रहे हैं तो फिर अहमदिया का पाकिस्तान में, रोहिंग्या का म्यांमार में, तमिल हिंदू-तमिल मुसलमान के लोगों पर क्यों नहीं सोच रहे?"

उन्होंने कहा, "सीएए बहुत पुअर ड्राफ्ट है लेकिन हमारी आपत्ति है कि परसिक्यूशन केवल धार्मिक ही क्यों, भाषा, रेस, लिंग, राजनीतिक भेदभाव के आधार पर क्यों नहीं? कोई भी मुझे यह बता दे कि कांग्रेस के किसी नेता ने तीनों देशों के हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता देने से मना किया हो, हम तो स्वागत करते हैं लेकिन और भी जो अन्य तरीके से परसिक्यूटेड हैं तो उनको भी बिल में शामिल कीजिए।"

चिदंबरम ने कहा, "असम में एनआरसी में हिंदुओं के ज्यादा नाम आने की वजह से सीएए को लाया गया है और मैंने संसद में पूछा कि किसी देश से बात हुई कि इन्हें कहां और कैसे भेजेंगे? तो अमित शाह ने कहा कि हम 2024 से पहले सबको भेज देंगे।"

वहां मौजूद छात्रों को चिदंबरम ने एक किस्सा सुनाया। उसके बाद कहा, "मैंने अपनी वाइफ से कहा कि मेरे स्कूल के सर्टिफिकेट और एसएलसी कहां है तो उन्होंने कहा कि आपके माताजी को तो पता था लेकिन मुझे नहीं पता है, अब मैं प्रधानमंत्री की तरह डिग्री तो प्रोड्यूस नहीं कर सकता।"

जेएनयू में भाषण खत्म करते वक्त चिदंबरम ने कहा कि सीएए का विरोध शाहीनबाग के अलावा देश के कई हिस्सों में हो रहा है और यह विरोध सीएए को 'लीगली डिफीट' करने के लिए किया जा रहा है।

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