अंतरराज्यीय नदी जल विवाद संशोधन विधेयक लोकसभा से पारित
विभिन्न राज्यों के बीच नदियों के पानी के बंटवारे संबंधी विवादों के निस्तारण के लिए पांच न्यायाधिकरणों को एकीकृत करके एक स्थायी न्यायाधिकरण एवं उसकी पांच खंडपीठों की स्थापना के लिए विधेयक को लोकसभा ने;
नयी दिल्ली । विभिन्न राज्यों के बीच नदियों के पानी के बंटवारे संबंधी विवादों के निस्तारण के लिए पांच न्यायाधिकरणों को एकीकृत करके एक स्थायी न्यायाधिकरण एवं उसकी पांच खंडपीठों की स्थापना के लिए विधेयक को लोकसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया।
सदन में करीब पांच घंटे तक चली चर्चा का जवाब देते हुए जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि न्यायाधिकरणों के निर्णयों को उच्चतम न्यायालय के फैसलों के बराबर का दर्जा दिया गया है और उसके क्रियान्वयन के लिए गजट अधिसूचना की आवश्यकता नहीं होगी।
शेखावत ने न्यायाधिकरणों में सदस्यों की संख्या एवं कामकाज के बारे में उठे विभिन्न सवालों का जवाब देते हुए कहा कि प्रत्येक आठ सदस्यीय पीठ में एक अध्यक्ष एवं एक उपाध्यक्ष, तीन न्यायिक सदस्य अौर तीन विशेषज्ञ होंगे। उन्हाेंने कहा कि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष न्यायपालिका के होंगे। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष स्थायी होंगे जिनका कार्यकाल पांच साल या 70 वर्ष की आयु में जो भी पहले हो, तक होगा। जबकि अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य विवाद के समाधान तक रहेंगे हालांकि वे विभिन्न खंडपीठों में एक ही वक्त में नियुक्त हो सकते हैं और जब तक एक भी खंडपीठ में उनके विचाराधीन मामला है तो वे पद पर रह सकते हैं।
उन्होंने कहा कि न्यायाधिकरण में प्रधानमंत्री द्वारा मनोनीत सदस्य के होने की दशा में मुख्य न्यायाधीश द्वारा मनोनीत सदस्य भी आ सकता है।
जल शक्ति मंत्री ने कहा कि देश में विश्व की आबादी एवं मवेशियों की कुल आबादी का 18 - 18 प्रतिशत है जबकि जल के स्रोत केवल चार प्रतिशत हैं। उन्होंने कहा कि सभी सदस्यों को राजनीतिक प्रतिबद्धता को छोड़कर देश के लिए दृढ़ संकल्प के साथ जल को बचाने एवं उसके सदुपयोग के बारे में सोचना होगा अन्यथा बाद में इसे मजबूरी में अपनाना होगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस विधेयक को संसदीय स्थायी समिति से परामर्श के पश्चात लाया गया है।
बाद में इस पर विपक्ष की ओर से कुछ संशोधन पेश किये गये जिन्हें सदन ने ध्वनिमत से नामंजूर कर दिया और विधेयक को पारित कर दिया।