वकील बिरादरी ‘तारीख पर तारीख’ लेने की प्रवृत्तियों से बचें: राष्ट्रपति कोविंद
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने आम लोगों को न्याय मिलने में होने वाली देरी पर गम्भीर चिंता जताते हुए सम्पूर्ण वकील बिरादरी से अपील की है कि वे ‘तारीख पर तारीख’ लेने की प्रवृत्तियों से बचें;
नयी दिल्ली। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने आम लोगों को न्याय मिलने में होने वाली देरी पर गम्भीर चिंता जताते हुए सम्पूर्ण वकील बिरादरी से अपील की है कि वे ‘तारीख पर तारीख’ लेने की प्रवृत्तियों से बचें।
Watch LIVE as #PresidentKovind addresses the National Conference being organised by the Supreme Court Advocates on Record Association at New Delhi https://t.co/u89WUoDRIA
राष्ट्रपति कोविंद ने सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन की ओर से आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए शनिवार को कहा कि न्याय मिलने में देरी भारतीय न्यायिक प्रणाली के लिए अभिशाप है। उन्होंने हालांकि उम्मीद जतायी कि कानूनी पेशे से जुड़ी सम्पूर्ण बिरादरी सुनवाई के दौरान बेवजह तारीख पर तारीख लेने की प्रवृत्ति से बचेगी। उन्होंने कहा कि विषम परिस्थितियों में ही सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया जाना चाहिए।
Indian legal system is marked by long delays. There is a backlog of 3.3 crore cases in various courts of the country. Of these, 2.84 crore cases are in the subordinate courts. Another 43 lakh are in the High Courts and about 58,000 in the Supreme Court #PresidentKovind
There are many reasons for such delays. There are infrastructure gaps and considerable vacancies, particularly in subordinate courts. There is a culture of seeking adjournments as a norm rather than an exception. Judiciary is making efforts to curb this practice #PresidentKovind
राष्ट्रपति ने कहा कि देश की विभिन्न अदालतों में करीब तीन करोड़ 30 लाख मुकदमे लंबित हैं, जिनमें से दो करोड़ 84 लाख मुकदमे अधीनस्थ अदालतों में हैं। करीब 43 लाख मुकदमे उच्च न्यायालयों में और 58 हजार उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं।
Innovations such as evening courts and family courts, and the concerted effort made in delivery of speedy, fast-track judgements in cases of sexual crimes against women, are also noteworthy #PresidentKovind
उन्होंने कहा कि मुकदमों के निपटारे में देरी के लिए एक नहीं, बल्कि कई कारण हैं। उन्होंने कहा कि आधारभूत संरचनाओं का अभाव और खासकर अधीनस्थ अदालतों में बड़ी संख्या में रिक्तियां इसकी प्रमुख वजह हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय प्रणाली की दुनिया में पहचान वंचितों और गरीबों को न्याय दिलाने के लिए होती रही है, लेकिन बार-बार तारीखें लेने की बढ़ती परम्परा से इस बारे में अब धीरे-धीरे सोच बदलने लगी है।
राष्ट्रपति ने देश में कानूनी पेशे की बदलती तस्वीर का उल्लेख करते हुए कहा, “ चूंकि भारतीय अर्थव्यवस्था के द्वार खुले हैं, इसलिए वाणिज्य, व्यापार एवं प्रौद्योगिकी कानून को भी नया आयाम मिला है। इन क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाले वकीलों की मांग बढ़ी है। इन क्षेत्रों में कानूनी पढ़ाई को भी बल मिला है।”