बढ़ी भारतीय नौसेना की ताकत, तीसरी पनडुब्बी आईएनएस करंज बेड़े में शामिल

 स्कोर्पिन श्रेणी की तीसरी पनडुब्बी आईएनएस करंज आज नौसेना के बेड़े में विधिवत रूप से शामिल हो गयी;

Update: 2021-03-10 17:34 GMT

नयी दिल्ली।  स्कोर्पिन श्रेणी की तीसरी पनडुब्बी आईएनएस करंज आज नौसेना के बेड़े में विधिवत रूप से शामिल हो गयी।

यह पनडुब्बी नौसेना के मुंबई स्थित डॉकयार्ड यानी गोदी में एक समारोह में नौसेना के बेड़े में शामिल की गयी। आईएनएस करंज पश्चिमी नौसेना कमान के पनडुब्बी बेड़े का हिस्सा रहेगी और कमान के शस्त्रागार का एक शक्तिशाली हथियार बनेगी। इस मौके पर पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल वी एस शेखावत विशेष रूप से मौजूद थे। वह पुरानी करंज पनडुब्बी के कमीशनिंग क्रू में शामिल थे और बाद में 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान कमांडिंग अफसर भी रहे थे। र नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, वरिष्ठ नौसेना अधिकारी और रक्षा मंत्रालय के अधिकारी भी इस मौके पर मौजूद थे।

फ्रांस के मेसर्स नेवल ग्रुप के सहयोग से मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) मुंबई द्वारा देश में छह स्कोर्पिन श्रेणी की पनडुब्बियां बनाई जा रही हैं।

रूसी मूल की फॉक्सट्रॉट श्रेणी की पनडुब्बी जिसे 2003 में डी-कमीशन किया गया था, के चालक दल को भी समारोह के लिए विशेष आमंत्रित किया गया था। नौसेना प्रमुख ने कहा ,“ स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भर भारत भारतीय नौसेना की विकास गाथा एवं भविष्य की सामरिक क्षमताओं का मूलभूत तत्व है।”

मुख्य अतिथि एडमिरल शेखावत ने भी आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाए जा रहे कदमों का उल्लेख करते हुए कहा “ हम ऐसे भारत में रहते हैं जो कई उपग्रहों का प्रक्षेपण कर रहा है, परमाणु पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है और दुनिया के लिए टीकों का निर्माण कर रहा है- नई करंज इसका एक और उदाहरण है ।”

इस वर्ष को 1971 की लड़ाई में जीत के 50 वर्ष पूरे होने के मौके पर 'स्वर्णिम विजय वर्ष' के रूप में मनाया जा रहा है। तत्कालीन सोवियत संघ में 04 सितंबर 1969 को कमीशन की गई पुरानी आईएनएस करंज ने भी तत्कालीन कमांडर वीएस शेखावत की देखरेख में युद्ध में सक्रिय भूमिका निभाई थी। आईएनएस करंज की वीरतापूर्ण कार्रवाई के परिणामस्वरूप पनडुब्बी के चालक दल के सदस्यों तथा अन्य कर्मियों को अलंकृत किया गया था, जिनमें तत्कालीन कमांडिंग ऑफिसर कमांडर वीएस शेखावत को मिला वीर चक्र भी शामिल है।

स्कोर्पिन श्रेणी की पनडुब्बी दुनिया की सबसे उन्नत पारंपरिक पनडुब्बियों में से एक हैं। ये प्लेटफॉर्म दुनिया की नवीनतम तकनीकों से लैस हैं। अपनी पूर्ववर्ती पनडुब्बियों की तुलना में यह अधिक घातक और छिपकर, समुद्र की सतह के ऊपर या नीचे किसी भी खतरे को बेअसर करने के लिए शक्तिशाली हथियारों और सेंसरों से लैस हैं।

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