जबरन गायब करने जैसी घटनाएं देशद्रोह है : इस्लामाबाद हाईकोर्ट

इस्लामाबाद हाईकोर्ट (आईएचसी) के मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनल्लाह ने शुक्रवार को 'जबरन गायब' होने की तुलना देशद्रोह से की;

Update: 2022-04-01 23:56 GMT

इस्लामाबाद। इस्लामाबाद हाईकोर्ट (आईएचसी) के मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनल्लाह ने शुक्रवार को 'जबरन गायब' होने की तुलना देशद्रोह से की। जियो न्यूज की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। हाईकोर्ट की यह टिप्पणी लापता पत्रकार मुदस्सर नारो के मामले की सुनवाई के दौरान आई। लाहौर का एक पत्रकार नारो अगस्त 2018 में लापता हो गया था।

दरअसल पाकिस्तान में सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों के लापता (जबरन गायब) होने की घटनाएं आम हैं।

सुनवाई की शुरुआत में, अतिरिक्त अटॉर्नी-जनरल और न्यायिक सहायक अदालत के सामने पेश हुए।

न्यायमूर्ति मिनल्लाह ने टिप्पणी की, "जबरन गायब होना देशद्रोह है। यह देशद्रोह का मामला है।"

उन्होंने कहा कि संविधान का पालन करने वाले देश में जबरन गायब होना स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने पूछा कि क्या मुदस्सर नारो को ढूंढ पाने में असमर्थता राज्य एजेंसियों की विफलता थी? उन्होंने कहा कि संघीय और प्रांतीय सरकारों को इस मामले को देखना चाहिए था।

न्यायाधीश ने निराशा व्यक्त करते हुए पूछा, "क्या किसी को उनकी (संघीय और प्रांतीय सरकारों की) इच्छा के बिना गायब किया जा सकता है? नहीं..।"

उन्होंने कहा, "लोगों का गायब होना सरकार की अक्षमता है। अगर सरकार की एजेंसियां नियंत्रण में नहीं हैं तो कार्यपालिका जिम्मेदार है। हम इसके लिए कार्यपालिका को जिम्मेदार क्यों नहीं घोषित करते।"

न्यायाधीश ने कहा कि लापता होने के मामलों में आतंकवाद विरोधी अधिनियम की धाराएं लागू की जाती हैं।

लाहौर के रहने वाले पत्रकार मुदस्सर नारो 20 अगस्त 2018 से लापता है, जब वह अपनी पत्नी और बच्चे के साथ उत्तरी इलाकों में गए थे, तभी से उनके बारे में कोई खबर नहीं है।

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