पिछले 10 वर्षों में देश में 741 हाथियों की करंट लगने से हुई मौत : आरटीआई कार्यकर्ता

पिछले 10 वर्षो में देश में कुल 741 जंगली हाथियों की करंट लगने से मौत हो गई है, जिनमें से ओडिशा में सबसे अधिक 133 मौतें दर्ज की गईं हैं;

Update: 2021-12-05 01:15 GMT

चेन्नई। पिछले 10 वर्षो में देश में कुल 741 जंगली हाथियों की करंट लगने से मौत हो गई है, जिनमें से ओडिशा में सबसे अधिक 133 मौतें दर्ज की गईं हैं। इसके बाद तमिलनाडु में 93 हाथियों की मौत बिजली के करंट से हुई है।

तमिलनाडु में तेनकासी के एक आरटीआई कार्यकर्ता आर. पांडिराजा ने कहा है कि पिछले दस वर्षों में दिसंबर 2020 तक राज्य में 93 जंगली हाथियों की बिजली का करंट लगने से मौत हुई है।

आरटीआई (सूचना का अधिकार) कार्यकर्ता ने कहा कि उन्हें एक सवाल के जवाब में यह जानकारी प्राप्त हुई है। उन्हें केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में वैज्ञानिक (प्रोजेक्ट एलीफेंट) के. मुथामिज सेलवन की ओर से उनके प्रश्न का उत्तर मिला है।

पांडिराजा ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "तमिलनाडु में पिछले दस वर्षों में दिसंबर 2020 तक 93 जंगली हाथियों की करंट लगने से मौत हुई है। वहीं राष्ट्रीय आंकड़े बहुत परेशान करने वाले हैं और मेरे आरटीआई के जवाब के अनुसार, देश भर में विभिन्न कारणों से 1,160 जंगली हाथियों की मौत हुई है।"

आरटीआई कार्यकर्ता, जो एक पशु अधिकार कार्यकर्ता भी हैं, ने कहा कि जंगली हाथियों की मौत से देश में जंगलों की पारिस्थितिकी बदल जाएगी और केंद्र सरकार के वन और वन्यजीव विभाग को हाथियों और अन्य जंगली जानवरों की मृत्यु को रोकने के लिए और अधिक प्रयास करने चाहिए।

आर. पांडिराजा ने कहा कि पिछले दस वर्षों में 31 दिसंबर, 2020 तक देश भर में तेज रफ्तार ट्रेनों की चपेट में आने से कुल 186 जंगली हाथियों की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि इनमें से सबसे ज्यादा 62 हाथियों की मौत असम में हुई, जबकि तमिलनाडु में ट्रेनों की चपेट में आने से पांच हाथियों की मौत हो गई।

पिछले दस वर्षों में देश में कुल 741 जंगली हाथियों की करंट लगने से मौत हो गई है, जिनमें से ओडिशा में सबसे अधिक 133 मौतें दर्ज की गईं हैं। इसके बाद तमिलनाडु में 93 हाथियों की मौत बिजली के करंट से हुई है।

इस अवधि के दौरान कुल 169 हाथियों का शिकार किया गया, जिनमें से शिकारियों की वजह से 49 मौत के साथ ओडिशा फिर से सूची में सबसे ऊपर है, जबकि तमिलनाडु में शिकारियों द्वारा नौ हाथियों को मार दिया गया है।

पांडिराजा ने कहा कि असम में 32 हाथियों को जहर देकर मार डाला गया और तमिलनाडु में एक हाथी की जहर खाने की वजह से मौत हो गई। उन्होंने यह भी कहा कि पर्यावरण और वन मंत्रालय ने हाथियों के संरक्षण के लिए पिछले दस वर्षों में 212.5 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता, जो जंगली जानवरों के पारिस्थितिकी तंत्र पर एक शोधकर्ता भी हैं, ने कहा कि 2017 की जनगणना से पता चला है कि देश में 29,964 जंगली हाथी हैं। कर्नाटक 6,049 हाथियों के साथ शीर्ष पर है जबकि तमिलनाडु में 2,761 हाथी हैं।

उन्होंने ने आईएएनएस को बताया, "यह दुखद है कि मनुष्यों के कठोर और लापरवाह व्यवहार के कारण काफी जंगली हाथी अपनी जान गंवा रहे हैं। हाल ही में मैंगलोर-चेन्नई एक्सप्रेस ट्रेन की चपेट में आकर कांजीकोड-मधुक्कारा सेक्टर में दो मादा हाथियों सहित तीन हाथियों की दुखद रूप से मौत हो गई। अगर रेलवे थोड़ा और सावधान होता, तो हम इन जानवरों की जान बचा सकते थे, जो पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।"

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