शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में धड़ल्ले से बिक रही अवैध शराब

जिले के शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से अवैध शराब की बिक्री न केवल जारी है बल्कि ढाबो से लेकर होटलों में बडे आराम से इसका सेवन भी किया जा रहा है......;

Update: 2017-06-16 16:10 GMT

रायगढ़। जिले के शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से अवैध शराब की बिक्री न केवल जारी है बल्कि ढाबो से लेकर होटलों में बडे आराम से इसका सेवन भी किया जा रहा है। मजे की बात यह है कि सरकारी दुकानों में भी शराब बेचने के नियमों को दरकिनार करके शराब कोचियों को बडी मात्रा में शराब बेची जा रही है और इसे रोकने वाला कोई नही है। कुछ जगह लगातार शिकायत भी आ रही है जिसमें कांटाझरिया तथा आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में कच्ची शराब भी बनाने की शिकायत पीड़ितों ने पुलिस को कई बार की लेकिन कार्रवाई नही हो पा रही है।

 रायगढ़ जिले में देशी व विदेशी मदिरा दुकानों में सेल्स मैन से लेकर जिम्मेदार अधिकारी एक के बाद एक अवैध शराबखोरी को बढ़ावा देने का प्रयोग कर रहें है चूंकि सरकारी शराब दुकानों की मानिटरिंग का जिम्मा केवल पुलिस विभाग के पास है और आबकारी विभाग इसकी खरीदी बिक्री का ही अध्यन करके हिसाब किताब देखता है जिसके चलते अवैध शराब बिक्री धड़ल्ले से हो रही है।

जानकार सूत्रों की मानें तो दुकानों में शराब लेने वालों के लिये यह नियम बनाया गया है कि एक व्यक्ति को एक बोतल ही शराब दी जाती है लेकिन शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में शराब लेने वालों को खुली छूट दी गई है। ढाबा संचालकों के अलावा कुछ होटल संचालकों को बडी मात्रा में दुकानों से ही शराब उपलब्ध कराई जा रही है और इसका हिसाब किताब बडी आसानी से छुपा लिया जाता है। बडी मात्रा में शराब बेचने की जानकारी आबकारी विभाग से लेकर पुलिस विभाग के अधिकारियों को है पर इस पर कार्रवाई करने के लिए कोई योजना नही बनी है। समय-समय पर एक्का-दुक्का कार्रवाई करके पुलिस यह जताने की कोशिश करती है कि जिले में कोचिए व अवैध शराब की बिक्री पर अंकुश लगा दिया गया है

लेकिन हकीकत इससे कोसो परे है। हाल ही में रायगढ़ जिले के दौरे में आए वाणिज्य कर एवं नगरीय निकाय मंत्री अमर अग्रवाल ने यह दावा किया था। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग उनकी शराब नीति से खुश हैं पर उनको भी इस बात की जानकारी नही है कि ग्रामीण इलाकों में अवैध शराब बिक्री का जाल पहले से ज्यादा न केवल मजबुत हो गया है बल्कि उनका नेटवर्क सरकारी तंत्र के साथ मिलकर काम कर रहा है। बहरहाल देखना यह है कि प्रशासन की इस कथनी और करनी पर किस प्रकार रोक लगाई जाती है।

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