नौकरियां ही नहीं बचेंगी तो आरक्षण लेकर क्या करेंगे : मराठा सेवा संघ की मांग पर मुख्यमंत्री की दो टूक, कहा-सार्वजनिक उपक्रमों की लड़ाई लडऩी होगी
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में बेचे जाने की प्रवृत्ति को नौकरियों पर खतरा बताया है;
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में बेचे जाने की प्रवृत्ति को नौकरियों पर खतरा बताया है। सोमवार को उन्होंने रायपुर में कहा, जब पद ही नहीं बचेंगे तो आरक्षण लेकर कोई क्या करेगा। मुख्यमंत्री मराठा सेवा संघ के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे।
बाद में पत्रकारों से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया, च्च्मराठा सेवा संघ के अध्यक्ष ने आरक्षण की मांग उठाई। इस पर मैंने यह कहा है कि आरक्षण आप चाह रहे हैं, अच्छी बात है। लेकिन आरक्षण के लिए पद रहे तब न। जितने भी सार्वजनिक उपक्रम हैं वे निजी हाथों में जा रहे हैं। दूसरा, आईएएस के पद भी अब कॉर्पोरेट सेक्टर से भरे जा रहे हैं। तो जब पद ही नहीं रहेगा तो आपको आरक्षण का लाभ मिलेगा कैसे। ऐसे में आरक्षण मांगने का औचित्य ही नहीं रह जाता। ऐसे में मैंने यह बात कही है कि आरक्षण चाहिए तो उसकी लड़ाई के साथ सार्वजनिक उपक्रमों को बचाने की लड़ाई भी समाज को साथ-साथ लडऩी होगी।ज् रायपुर के कचना में आयोजित इस कार्यक्रम में मराठा सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामाजी पवार, संस्थापक अध्यक्ष पुरुषोत्तम खेड़ेकर, प्रदेश अध्यक्ष रविन्द्र दानी, पूर्व विधायक रजनी ताई, पूर्व मराठा शासक बिम्बाजी भोंसले के वंशज श्रीमंत मधोजी भोसले और मंगला दानी सहित मराठा समाज के बहुत से लोग मौजूद रहे।
विदर्भ और छत्तीसगढ़ के संबंधों को भी याद किया
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ और विदर्भ के संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि आजादी के बाद सीपी एंड बरार में छत्तीसगढ़ अंचल का क्षेत्र भी शामिल था। उसकी राजधानी नागपुर थी। छत्तीसगढ़ के अनेक शहरों में मराठा समाज के लोग बड़ी संख्या में निवास करते हैं। रायपुर के दूधाधारी मठ का जीर्णोद्धार मराठा शासक ने कराया था। इसी तरह रायपुर के 400 वर्ष पुराने रावणभाठा मैदान में भोंसले राजाओं ने सार्वजनिक दशहरा उत्सव की शुरुआत की थी। मुख्यमंत्री ने कहा, अब जब महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के लोगों का एक दूसरे के राज्य में आना जाना बढ़ रहा हैए तो आने वाले समय में यह संबंध और ज्यादा प्रगाढ़ होगा।
बिम्बाजी भोंसले की समाधि का कायाकल्प होगा
संघ की मांग पर मुख्यमंत्री बघेल ने छत्तीसगढ़ के प्रथम मराठा शासक बिम्बाजी भोंसले के समाधि स्थल के सौंदर्यीकरण की घोषणा की है। 1757 से 1787 तक छत्तीसगढ़ क्षेत्र के शासक रहे बिम्बाजी भोंसले की समाधि महासमुंद जिले के नर्रा गांव में स्थित है। मुख्यमंत्री ने कहा, यह समाधि जर्जर स्थिति में है। इसका सौंदर्यीकरण उनकी प्रतिष्ठा के अनुरूप किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने सामाजिक भवन के लिए मराठा समाज को अन्य समाजों की तरह कलेक्टर गाइडलाइन दर के 10फीसदी मूल्य पर भूखंड उपलब्ध कराने की घोषणा की है।