हाउसफुल 4 फिल्म रिव्यू
दिवाली पर्व के अवसर को भुनाने के लिए फिल्म निर्माताओं को अच्छा मौका मिला इसीलिए इस सप्ताह तीन बड़ी स्टार कास्ट की फिल्म रिलीज़ हो गयी;
दिवाली पर्व के अवसर को भुनाने के लिए फिल्म निर्माताओं को अच्छा मौका मिला इसीलिए इस सप्ताह तीन बड़ी स्टार कास्ट की फिल्म रिलीज़ हो गयी जिसमें पहली निर्देशक फरहाद सामजी ने हाउसफुल का चौथा संस्करण इस सप्ताह उतारा जिसमें वहीं तीन जोड़ी लीं गयी है जिसमें अक्षय कुमार, रितेश देशमुख, बॉबी देओल, कृति सेनन, कृति खरबंदा, पूजा हेगड़े, रणजीत, चंकी पांडे, मनोज पावा, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, राणा दग्गुबत्ती, जॉनी लिवर और अर्चना पूरन सिंह जैसे कलाकारों की भरमार है या यूँ कहा जाए की पूरा हाउसफुल है। तो वही मिखिल मुसाले की फिल्म ' मेड इन चाइना' भी इस सप्ताह रिलीज़ हुई जिसमे राजकुमार राव, मौनी रॉय, परेश रावल, अमायरा दस्तूर, बोमन ईरानी, गजराज राव जैसे कलाकार है। वहीँ कम बजट की एक बायोग्राफी ड्रामा फिल्म 'सांड की आँख' भी रिलीज़ हुई जिसका निर्देशन किया है तुषार हीरानंदानी ने जिसमें कलाकार है तापसी पन्नू, भूमि पेडनेकर, प्रकाश झा और विनीत कुमार।
सबसे पहले बात करते है शार्पशूटर चंद्रो और प्रकाशी तोमर की बायोग्राफी पर बनी फिल्म 'सांड की आँख' की इसमें निर्देशक तुषार हीरानंदानी ने बहुत ही प्यार से गांव के वातावरण और वहां के परिवेश को दिखाने की बहुत अच्छी कोशिश की है। हम शहरों में रहते है इसीलिए हम गांव की परेशानियों से अनभिज्ञ रहते है हम चाहे कितना भी डंका पीट ले बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ लेकिन हमारी गांव की पृष्ठ भूमि अभी भी बेटे के लिए ही सारे अच्छे काम करती है यहाँ तक की संपत्ति के लिए भी महिलाओं को अलग रखा जाता है यह फिल्म भी इसी दशा को दिखाती हुई दिखाई गयी है, जिसमें चंद्रो यानि भूमि पेडनेकर और प्रकाशी यानि तापसी पन्नू रिश्ते में देवरानी जेठानी है जो हर परेशानी में खुद को ढाल लेती है और अपने शौक के लिए थोड़ा बहुत समय निकाल लेती है और उनका शौक है निशाना लगाने का, यही करते करते उनकी आधी ज़िन्दगी गुज़र गयी है। एक बार डॉ यशपाल यानि विनीत कुमार सिंह को उनके निशानाबाज़ी के टैलेंट का पता चलता है और वो उनकी मदद करने के लिए तैयार हो जाता है, एक हल्की सी किरण मिलते ही चंद्रो और प्रकाशी आगे बढ़ जाती है और कई प्रतियोगिताओ में भाग लेती है और मेडल जीतती है, लेकिन इस सबसे उन दोनों के परिवार वाले और गांव का पुरुष समाज खुश नहीं है और वो किसी न किसी तरह से उनको रोकना चाहते है खासकर प्रकाश झा जोकि इस फिल्म में विलेन के किरदार में है। अब साठ साल की उम्र में चंद्रो पर प्रकाशी विश्वप्रसिद्ध हो जाती है और बड़े बड़े लोग उनसे मिलने आने लगते है। निर्देशक ने गांव और समाज की जो रेखा खींची थी उसपर वो ठीके हुए नज़र आते है यहाँ तक की उन्होंने इस बात पर भी ध्यान दिया है की गांव के लोग चेहरा देखकर नहीं बल्कि दुपट्टे के रंग को देखकर महिलाओ को पहचानते है। जहाँ तक एक्टिंग की बात है तापसी और भूमि दोनों ने ही जबरदस्त अदाकारी की है और गांव के माहौल को दिखाने की भरसक कोशिश की है। फिल्म में उड़ता तीतर और वुमनियाँ गाने अच्छे बन पड़े है।
वहीँ दूसरी फिल्म 'मेड इन चाइना' गुजराती माहौल को दिखाती फिल्म है क्योंकि इसके निर्देशक मिखिल मुसाले गुजराती फिल्मों के डायरेक्टर है जिन्होंने कई नेशनल अवार्ड जीते है और यह उनकी पहली हिंदी फिल्म है। फिल्म की कहानी शुरू होती है एक बिजनेसमैन रघुवीर मेहता यानि राजकुमार राव से जो अब तक नजाने कितने बिज़नेस में अपना हाथ डाल चुका है लेकिन उसे कहीं पर भी सफलता नहीं मिलती लेकिन उसके आईडिया बहुत ही जबरदस्त होते है। उनकी खूबसूरत पढ़ी लिखी वाइफ रुक्मणि यानि मौनी रॉय है और एक छोटा बेटा है। रुक्मणि उसका हमेशा साथ देती है और नया बिज़नेस करने के लिए अग्रसर करती रहती है। रघुवीर का कजिन है वनराज यानि सुमित व्यास जो अपने पापा मनोज जोशी के साथ मिलकर हमेशा उसका मज़ाक बनाता रहता है लेकिन ज़रूरत पड़ने पर उसकी सहायता भी करता है। एक दिन रघुवीर को चाइना जाने का चांस मिलता है वहां उसकी मुलाकात होती है तन्मय शाह यानि परेश रावल से जो उसे बिज़नेस का एक ऐसा गुरु मन्त्र देता है जिसे सुनकर रघुवीर बहुत खुश होता है, इस बार वो इंडिया आकर अपने प्रोडक्ट टाइगर सूप निकालता है और साथ ही जोड़ता है सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर्स को, फिर क्या होता है यह तो फिल्म देखकर ही पता चलेगा की वो अपने बिज़नेस में सफल होता भी है या नहीं। फिल्म में राजकुमार राव ने ज़बरदस्त एक्टिंग की है और कई जगह पर मौनी रॉय भी उनका साथ देती नज़र आती है। ओढ़नी गाना इन दिनों हिट लिस्ट में चल रहा है। एक हल्की फुल्की कॉमेडी देखने वालो के लिए यह फिल्म अच्छा ऑप्शन है।
अब आते है इस सप्ताह रिलीज़ बड़ी फिल्म 'हाउसफुल 4' के लिए जिसमें इतना धमाल झमाल है की निर्देशक फरहाद सामजी भी सोच में पढ़ जाएंगे की मैंने क्या किरदार किसको दिया है। 1419 में सितमगढ़ जगह में जब राजा महाराजाओं का ज़माना था उस समय राजकुमार बालादेव सिंह यानि अक्षय कुमार उसकी राजकुमारी मधु यानि कृति सेनन, बंगड़ू महाराज यानि रितेश देशमुख और उसकी राजकुमारी माला यानि पूजा हेगड़े है जिनका अंगरक्षक धर्मपुत्र यानि बॉबी देओल राजकुमारी मीना यानि कृति खरबंदा को मार डालता है जिसकी वजह से यह लोग मिल नहीं पाते अब वो मिलते है 2019 में लेकिन यह सब लंदन में है, इस जन्म में हैरी यानि अक्षय कुमार एक हेयर ड्रेसर है और उसे बार बार पिछले जन्म की याद आती है और उसे कुछ न कुछ पिक्चर दिखती रहती है पिछले जन्म की, इस जन्म में मैक्स यानि बॉबी और रॉय यानि रितेश हैरी के भाई बने हुए है जोकि एक अमीर घराने की तीन बेटियों नेहा कृति और पूजा से शादी करना चाहते है लेकिन उनका बाप ठकराल यानि रंजीत माफिया डॉन है जोकि एक लूट की रकम को लेकर सितमगढ़ पहुँच जाता है और वहीँ यह लोग भी पहुँच जाते है, वहां हैरी को उसके पिछले जन्म का दोस्त चंकी पांडे मिलता है जो उसे पिछले जन्म की सारी बातें याद दिला देता है। लेकिन परेशानी तब शुरू होती है जब तीनो अपनी अपनी प्रेमिकाओं से प्यार न करके एक दूसरे की प्रेमिकाओं से प्यार करने लगते है और बीच बीच में एंट्री होती रहती है नवाजुद्दीन सिद्दीकी, राणा दग्गुबत्ती, जॉनी लिवर और अर्चना पूरन सिंह की जो कहानी को आगे ले जाते रहते है। पूरी फिल्म में अक्षय कुमार छाए हुए है और फिल्म भी उन्ही के कंधो पर है, उनकी कॉमिक टाइमिंग शुरू से लेकर एन्ड तक अच्छी चली है और रितेश को देखते ही हंसी आ जाती है। स फिल्म के लिए यह कहा जा सकता है की इसे देखने के लिए अपना दिमाग घर पर ही छोड़कर जाए।
फिल्म समीक्षक
सुनील पाराशर