समलैंगिकता अपराध नहीं: सर्वोच्च न्यायालय

 आज सर्वोच्च न्यायालय ने धारा 377 (समलैंगिक संबंध) पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है;

Update: 2018-09-06 14:32 GMT

नई दिल्ली।   आज सर्वोच्च न्यायालय ने धारा 377 (समलैंगिक संबंध) पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने धारा 377 को असंवैधानिक करार देते हुए इसे निरस्त कर दिया। 

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि समलैंगिक लोगों को सम्मान के साथ जीने का अधिकार है और हमें अपनी मानसिकता को बदलने की जरूरत है। 

सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि समलैंगिक लोगों के अधिकारों की रक्षा हो औऱ सबको सम्मान की दृष्टि से देखा जाए। 

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा  ने फैसला सुनाते हुए कहा कि समान लिंग के बीच रिश्ता बनाना बच्चों के लिए नुकसानदेय नहीं है और यह अब पहले की तरह गैरकानूनी नहीं है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर एसे मुद्दे में कोई अपराध होता है तो उसके लिए पॉक्सो एक्ट है। 

सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को मनमाना करार देते हुए व्यक्तिगत चुनाव को सम्मान देने की बात कही है। कोर्ट ने कहा कि जैसा मैं हूं उसे उसी रूप में स्वीकार किया जाए। समलैंगिकों को भी इज्जत से जीने का हक है और सबको समान माना जाए। 

इस फैसले के बाद वर्षों से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे समलैंगिक लोगों के बीच खुशी की लहर है। सबने सुप्रीम कोर्ट का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया है। 

 

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