मित्र की मदद सुख-दुख से परे होकर करें : पं. गोस्वामी
भागवत कथा के 7 वें दिन सुदामा चरित्र, जरासंध वध व तुलसी वर्षा;
महासमुंद। ग्राम मचेवा बस्तीपारा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के 7 वे दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। कथा वाचक पं संतोष पुरी गोस्वामी ने द्वापर काल में कालजयी राजा जरासंध से भगवान कृष्ण के कई चक्रहोने वाले युद्धों का सविस्तार वर्णन करते हुए कहा कि युद्ध धर्म, न्याय धर्म के बीच के साथ सिर्फ जीतना होता है।
उसके लिए धैर्य और पराक्रम के साथ लक्ष्य प्राप्ति तक संघर्ष करते रहने का संदेश छिपा हुआ है। इसी प्रकार रुकमणी विवाह का सविस्तार का चित्रण वर्णन किया। सामाजिक परिवेश और संदेश में कृष्ण सुदामा के प्रेम और सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास पं संतोष पुरी गोस्वामी ने बताया कि मित्रता में छोटा बड़ा ऊंच.नीच जैसा कोई भेदभाव नहीं होता है।
जिसके प्रतीक भगवान श्री कृष्ण जी हैं जो स्वयं सुदामा को स्वीकार कर व्यक्त किया है। सुदामा के चरित्र पर वर्णन करते हुए श्री गोस्वामी ने कहा कि विशेष आवश्यकता काल में भी कुछ भी पाने की आशा को छोडक़र सुदामा जी परिवारिक संदेश को लेकर गए थे, वापस आने पर महसूस किया कि खाली हाथ ही आ रहे हैं, परंतु जब घर पहुंचे तो वहां की बदली हुई स्थिति ने अपने आप में संदेश दिया कि जे न मित्र दुख होइ दुखारी, सो नृप अवसि नरक अधिकारी, अर्थात अपने मित्र की मदद के हर्ष और विषाद से परे रहकर कर्तव्य का निर्वाह किया। अंत में तुलसी वर्षा के बाद शोभायात्रा के माध्यम से ग्राम भ्रमण कर बाजे.गाजे के साथ भागवत भगवान व प्रभु श्रीकृष्ण ने भक्तों को दर्शन दिया। पश्चात भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर विश्राम.निर्मला साहू, कालीचरण.दुखमत बाई साहू, लेखराम.लक्ष्मी, रामनारायण.रूखमणी, प्रणव.संतोष साहूू, कुलेश्वरी, जया, गुंजा, भारती, रेशमा, गोविंद सहित समस्त ग्रामवासी उपस्थित थे।