विधानसभा चुनावों में नाकेबंदी सबसे अहम मुद्दा
मणिपुर में यूनाइटेड नागालैंड काउंसिल (यूएनसी) के आह्वान पर लगभग 100 दिनों से जारी नाकेबंदी और इसके कारण हो रही आवश्यक वस्तुओं की कमी के कारण आगामी विधानसभा चुनावों में यह सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा होगा ।;
गुवाहाटी। मणिपुर में यूनाइटेड नागालैंड काउंसिल (यूएनसी) के आह्वान पर लगभग 100 दिनों से जारी नाकेबंदी और इसके कारण हो रही आवश्यक वस्तुओं की कमी के कारण आगामी विधानसभा चुनावों में यह सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा होगा ।
मुख्यमंत्री ओकराम ईबोबी सिंह द्वारा राज्य में सात नये जिलों के गठन के बाद एक नवम्बर से नाकेबंदी जारी है । नाकेबंदी के कारण मतदाताओं के सामान्य जनजीवन पर प्रतिकूल असर पड़ा है और आवश्यक चीजों के दामों में बेतहाशा वृद्धि हुई है ।
खाना पकाने की गैस कालाबाजार में 2000 रुपये में बेची जा रही है । विरोध कर रहे नागा गुटों के साथ केंद्र सरकार की बातचीत का अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल सका है । केंद्र के साथ नागा गुटों की आज महत्वपूर्ण बैठक होगी ।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा,“ त्रिपक्षीय वार्ता हो चुकी है और हमने अपने अधिकारियों से कह दिया है कि शासनादेश स्पष्ट है। हमें समाधान खोजने की जरूरत है। ” नाकेबंदी भारतीय जनता पार्टी का मुख्य चुनावी मुद्दा है और पार्टी राज्य में चुनाव से पूर्व इस मसले का समाधान चाहती है ।
भाजपा ने गत वर्ष असम में हुए विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की थी और मणिपुर में भी जीत का सिलसिला जारी रखना चाहती है । गत छह माह के दौरान कांग्रेस शासित मणिपुर के एक दर्जन से अधिक कांग्रेसी नेता भाजपा का दामन थाम चुके हैं ।
मणिपुर के भाजपा चुनाव के प्रभारी और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा,“यह नाकेबंदी श्री ईबोबी सिंह की है जो उनके द्वारा की गयी है और उनके लिए ही है।
उन्होंने अपने राजनीतिक फायदे के लिए इसे करने की इजाजत दी लेकिन हम उन्हें सफल नहीं होने देंगे। ” कांग्रेस गैर-नागा मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रही है।
गैर-नागा मतदाता राज्य में 40 से 60 सीटों पर निर्णायक मतदान करते हैं।यही वजह है कि कांग्रेस पूर्व नागा उग्रवादी संगठनों एनएससीएन (आईएम) और यूएनसी से सांठगांठ करने के संकेत दिये हैं ।