पानीपत में तिरंगे की रिसाइक्लिंग शुरू, बुलेटप्रूफ जैकेट में इस्तेमाल अरामिड कपड़े का हो सकेगा दोबारा उपयोग

केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय के राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन ने पानीपत में एक अनोखी परियोजना को मंजूरी दी है। दिल्ली के साथ मिलकर पानीपत में “अटल वस्त्र पुनर्चक्रण एवं स्थिरता केंद्र” बनाया गया है;

Update: 2025-11-27 02:10 GMT

पानीपत। केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय के राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन ने पानीपत में एक अनोखी परियोजना को मंजूरी दी है। दिल्ली के साथ मिलकर पानीपत में “अटल वस्त्र पुनर्चक्रण एवं स्थिरता केंद्र” बनाया गया है।

इस केंद्र ने दो बड़ी कामयाबी हासिल की हैं। एक, पहली बार देश में पुराने तिरंगों को गरिमा के साथ रिसाइक्लिंग करने की वैज्ञानिक प्रक्रिया शुरू हुई है और दूसरा, बुलेटप्रूफ जैकेट व एयरोस्पेस में इस्तेमाल होने वाले महंगे अरामिड फाइबर को दोबारा इस्तेमाल करने की तकनीक तैयार हो गई है।

इस नई प्रक्रिया में तिरंगे के कपड़े को अलग किया जाता है, उसकी गरिमा बरकरार रखते हुए उसे रिसाइकल कर नया धागा या दूसरी चीजें बनाई जा रही हैं। यह तरीका पूरी तरह “हर घर तिरंगा” अभियान के साथ जुड़ता है और देशभक्ति के साथ पर्यावरण सुरक्षा को जोड़ता है।

दूसरी बड़ी सफलता अरामिड फाइबर की है। यह बहुत मजबूत और महंगा कपड़ा होता है, जो सेना की बुलेटप्रूफ जैकेट, हवाई जहाज और सुरक्षात्मक कपड़ों में लगता है। पुराना होने पर पहले इसे फेंक दिया जाता था। अब पानीपत के इस केंद्र ने इसे रिसाइकल करने की तकनीक बना ली है। कई बड़ी कंपनियां इसे अपनाने लगी हैं, जिससे लाखों-करोड़ों रुपये की बचत हो रही है और कचरा भी कम हो रहा है।

इन दोनों तकनीकों को सबके सामने दिखाने के लिए 28 नवंबर 2025 को पानीपत में बड़ी प्रदर्शनी लगेगी। पंजाब, हरियाणा और दिल्ली चैंबर ऑफ कॉमर्स इसका आयोजन कर रहा है। कार्यक्रम में उद्योग वाले, सरकारी अधिकारी और वैज्ञानिक शामिल होंगे।

वस्त्र मंत्रालय का कहना है कि यह परियोजना दिखाती है कि तकनीकी कपड़ों में भारत अब सिर्फ इस्तेमाल करने वाला नहीं, बल्कि नई तकनीक बनाने वाला देश बन रहा है। पानीपत, जो पहले सिर्फ कंबल और कारपेट के लिए मशहूर था, अब रिसाइक्लिंग और हाई-टेक कपड़ों का बड़ा केंद्र बनने बड़ा केंद्र बनने जा रहा है।

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