गुजरात में भाजपा ने 4 फैसले लिए वापस

गुजरात में भाजपा सरकार ने चुनावों से पहले जनता की नाराजगी को देखते हुए 4 बड़े सरकारी फैसले वापस ले लिए हैं। खास बात ये है कि इनमें से दो फैसले केंद्र की मोदी सरकार ने लिए थे। आपको बता दें कि गुजरात में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं और राज्य की भाजपा सरकार किसी समुदाय की नाराजगी लेकर राजनीतिक जोखिम नहीं लेना चाहती।;

Update: 2022-04-16 12:59 GMT

गुजरात में भाजपा सरकार ने चुनावों से पहले जनता की नाराजगी को देखते हुए 4 बड़े सरकारी फैसले वापस ले लिए हैं। खास बात ये है कि इनमें से दो फैसले केंद्र की मोदी सरकार ने लिए थे। आपको बता दें कि गुजरात में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं और राज्य की भाजपा सरकार किसी समुदाय की नाराजगी लेकर राजनीतिक जोखिम नहीं लेना चाहती। शायद इसीलिए उसने पीछे हटने का फैसला किया। ऐसा पहली बार हुआ है कि भाजपा को इतने बड़े पैमाने पर अपने पांव पीछे खींचने पड़े हैं। भाजपा ने शहरी इलाकों में गुजरात मवेशी नियंत्रण बिल, 2022 वापस ले लिया है। इस बिल को 31 मार्च को ही विधानसभा में पास किया गया था। कांग्रेस ने इसे लेकर कड़ा विरोध जताया था। इसके साथ ही पारंपरिक रूप से पशुपालन करने वाले मालधारी समुदाय ने भी इस बिल का विरोध किया था। खुद प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष सीआर पाटिल ने भी इसका खुलकर विरोध किया था और कहा था कि विधानसभा के अगले सत्र में इसे वापस ले लिया जाएगा। और अब चुनाव के पहले इसे वापस ले लिया गया है। वहीं 29 मार्च को भूपेंद्र पटेल सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए 6 घंटे से रोजाना 8 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के फैसले को उलट दिया था। बदले में सरकार ने उद्योग क्षेत्र के लिए अनिवार्य साप्ताहिक अवकाश लगाया। मार्च के पहले सप्ताह में बिजली आपूर्ति पर किसानों के व्यापक विरोध प्रदर्शन के बाद यह निर्णय लिया गया। राज्य सरकार जहां किसानों को 60 पैसे प्रति यूनिट से कम पर बिजली की आपूर्ति करती है, वहीं उद्योग से लगभग 8 रुपये प्रति यूनिट शुल्क लिया जाता है। जैसे ही विरोध राज्य के अधिकांश हिस्सों में फैल गया, सरकार ने फैसले को बदलते हुए 29 मार्च को किसानों के लिए आठ घंटे बिजली आपूर्ति की घोषणा की।
सरकार द्वारा वापस लिया गया तीसरा निर्णय परी-तापी-नर्मदा लिंकिंग परियोजना के संबंध में था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को अपने बजट भाषण में कहा था कि पीटीएन सहित पांच नदी-जोड़ने वाली परियोजनाओं के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार है। 28 मार्च को आदिवासियों के विरोध के बाद और वंसदा के कांग्रेस विधायक अनंत पटेल के नेतृत्व में और गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने पीटीएन परियोजना को रद्द करने के लिए वित्त मंत्री सीतारमण और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत से मुलाकात की थी। जिस पर सरकार को झुकना पड़ा।
और चौथा फैसला जीएसटी से जुड़ा है। आप जानते हैं कि केन्द्र सरकार ने कपड़ा वस्तुओं पर जीएसटी में 5 प्रतिशत से 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी, लेकिन यह फैसला गुजरात सरकार ने वापिस ले लिया है। इस फैसले को 1 जनवरी से लागू किया जाना था, मगर पिछले साल दिसंबर में दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के जरिए फेडरेशन ऑफ सूरत टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन के विरोध के बाद इसे रद्द कर दिया गया था।
तो इस तरह उद्योग-जगत, व्यापार, कृषि और पशुपालन इन चार क्षेत्रों से जुड़े फैसले बीजेपी सरकार को वापस लेने पड़े हैं, जो बीजेपी की कमजोर होती स्थिति को दिखाते हैं।

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