एक वर्ष में दो बार नहीं हो सकती वृद्घि
दिल्ली सरकार और दिल्ली मेट्रो के बीच किराए पर वृद्धि को लेकर शुरू हुई जंग थमने का नाम नहीं ले रही;
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार और दिल्ली मेट्रो के बीच किराए पर वृद्धि को लेकर शुरू हुई जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। आज दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने फिर अपील की है कि जब तक समीक्षा की जा रही है तब तक बढ़ोतरी न की जाए। उन्होने कहा कि यदि मेट्रो किराया बढ़ाती है तो वह उसी कानून का उल्लंघन करेगी जिसके अंतर्गत उसका गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली मेट्रो रेलवे (परिचालन एवं रखरखाव) अधिनियम 2002 की धारा 37 के तहत किराया निर्धारण समिति की सिफारिशों को लागू करने की बाध्यता है लेकिन समिति की सिफारिश कहती है कि किराए वृद्घि में एक वर्ष का अंतर होगा।
सिसोदिया ने कहा कि इसलिये मेट्रो के अधिकारी न जाने किस आधार पर एक वर्ष में दूसरी वृद्धि की बात कर रहे हैं। अब यह स्पष्ट हो जाता है कि मई माह में वृद्धि के बाद दूसरी बार किराए में बढ़ोतरी 10 अक्टूबर को करने जा रही है जो कि कानूनी तौर पर सही नहीं है। दिल्ली व यात्रियों को अब बताना चाहिए कि आखिर वह समिति की सिफारिशों को विशेष प्रकार से चयन कर के कैसे लागू कर सकती है। उन्होंने सरकार की ओर से सफाई देते हुए कहा कि 14 फरवरी 2015 को दिल्ली में सरकार बनने के बाद कभी भी हमने मेट्रो के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं किया है और सभी आवश्यक मंजूरी दी है ताकि मेट्रो का सुविधाजनक सफर जारी रहे। लेकिन सरकार यात्रियों के हितों की अनदेखी पर चुप नहीं सकती है।
उन्होंने बताया कि यह गम्भीर बात है कि किराया निर्धारण समिति ने पिछले साल सितंबर माह में भी निर्वाचित सरकार द्वारा की गई आपत्तियों की अनदेखी की। दिल्ली मेट्रो किराए बढ़ोतरी को सही ठहराने के प्रयास कर रही है लेकिन यह नहीं बता रही कि यदि बढ़ोतरी जरूरी थी तो फिर तो समिति और दिल्ली मेट्रो बोर्ड के फैसले में आठ माह का अंतर क्यों है। श्री सिसोदिया ने केंद्र सरकार से अपील करते हुए कहा कि दिल्ली मेट्रो की धारा 86 के अंतर्गत जब तक पूरे मामले में केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार संयुक्त रूप से समीक्षा न कर ले तब तक इसे लम्बित रखा जाए। वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी ने कहा कि
दिल्ली में मेट्रो में सफर करना कोलकाता के मुकाबले महंगा
पार्टी प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली मेट्रो में पहले 5 किलोमीटर का किराया 10 रुपए है वहीं कोलकाता में पहले 5 किलोमीटर के सफर का किराया पांच रुपए है व अधिकतम किराया दिल्ली में 32 किलोमीटर का 50 रूपए है तो वहां 25 किलोमीटर और उससे ज्यादा का सफर करने के लिए 25 रुपए का अधिकतम किराया है।
उन्होने कहा कि किराया निर्धारण समिति में दिल्ली सरकार की तरफ से समिति के सदस्य रहे तत्कालीन मुख्य सचिव केके शर्मा ने सरकार का 30 जून का वो पत्र भी समिति को सौंपा था जिसमें मेट्रो किराया बढ़ाने का विरोध दिल्ली सरकार ने किया था। हमारा सिर्फ यही कहना है कि जब दिल्ली सरकार के मत को महत्व ही नहीं दिया गया तो समिति में एक चुनी हुई सरकार के प्रतिनिधि को शामिल करने का क्या लाभ?