किसानों का दाना-दाना के वजाय दाना-दाना करके खरीद कर रही सरकार: हुड्डा

हुड्डा- कोरोना महामारी के इस दौर में विपक्ष किसी तरह की राजनीति नहीं करना चाहता लेकिन, किसानों की ऐसी हालत देखकर चुप रहना बड़ी नाइंसाफ़ी होगी;

Update: 2020-04-22 15:27 GMT

चंडीगढ़। हरियाणा में विपक्ष के नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेशभर की मंडियों में फसल खरीद के दौरान फैली अव्यवस्था पर चिंता ज़ाहिर करते हुये कहा कि प्रदेश सरकार किसानों का दाना-दाना के वजाय दाना-दाना करके मंडियों में फसल खरीद कर रही है।

श्री हुड्डा ने आज यहां जारी एक वक्तव्य में कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से फोन पर काफी देर तक चर्चा कर उनका ध्यान मंडियों में फैली अव्यवस्था की ओर दिलाया तथा आढ़तियों के साथ समन्वय बनाकर खरीद सुचारू कराने की अपील की। उन्होंने कहा कि मंडियों में जिस गति से सरकारी खरीद हो रही है उससे तो 3-4 महीने यानि अगस्त तक पूरा गेहूं खरीदा जा सकेगा। सरसों की खरीद तो और भी धीमी गति से हो रही है। एक हफ्ते में पैदावार का 15 प्रतिशत तक भी नहीं खरीदा गया है। इसलिये किसान के माथे पर चिंता की लकीरें है कि जब तक यह फसल नहीं बिकती, वे अगली फसल की बुआई कैसे कर पाएगा। इसलिए देशहित और किसानहित में ज़रूरी है कि किसान की फसल खरीद की गति तेज़ की जाए।

विपक्ष के नेता ने स्पष्ट कहा कि कोरोना महामारी के इस दौर में विपक्ष किसी तरह की राजनीति नहीं करना चाहता लेकिन, किसानों की ऐसी हालत देखकर चुप रहना बड़ी नाइंसाफ़ी होगी और हमारे लिए असहनीय है क्योंकि अन्नदाता हर तरह की राजनीति से ऊपर है। जो पूरे देश का पेट पालता है। सत्तापक्ष हो या विपक्ष सभी की ज़िम्मेदारी है कि वह किसान की आवाज़ उठाए। प्रदेश में आढ़ती आंदोलन कर रहे हैं और सरकार अपनी ज़िद पर अड़ी है। दोनों के टकराव का ख़ामियाजा अन्नदाता को भुगतना पड़ रहा है। पहले धान, फिर सरसों और अब किसान के गेहूं की भी मंडियों में सरकार के अड़ियल रवैये से बेकद्री हो रही है। उसे अपनी फसल बेचने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। कई दौर की बैठकों के बाद अब तक भी आढ़तियों और सरकार में समझौता नहीं हो पाया। प्रदेशभर की मंडियों में किसान अपनी फसल लेकर पहुंच रहा है। लेकिन न किसान की सरसों ढंग से बिक पाई और ना गेहूं की बिकवाली ही हो रही है।

श्री हुड्डा ने कहा कि उन्होंने सरकार से आढ़तियों के साथ समन्वय बनाने की अपील की। लेकिन, लगता है कि सरकार अपनी ज़िद और आढ़ती अपनी मांगें छोड़ने को तैयार नहीं हैं। बीच का रास्ता निकाले बिना खरीद प्रक्रिया सुचारू रूप से नहीं चल सकती। सरकार ने किसानों का दाना-दाना ख़रीदने का वादा तो किया था, लेकिन अब वह दाना-दाना करके फसल खरीद रही है। अपनी फसल बेचने के लिए किसान को बार-बार मंडियों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। क्योंकि, महामारी के इस दौर में सरकार खरीद प्रक्रिया में नये-नये प्रयोग कर रही है। जबकि, ज़रूरत यह है कि प्रक्रिया में नये प्रयोग करने के बजाय उसे ज़्यादा आसान और सुविधाजनक बनाया जाए। पंजाब राजस्थान और अन्य राज्यों की सरकारों ने भी महामारी के चलते खरीद को पुराने तरीके से ही अंजाम दिया है। इसलिए वहां खरीद सुचारू रूप से चल रही है।

उन्होंने सरकार और आढ़तियों से जल्द समझौता कर खरीद प्रक्रिया सुचारू करने की अपील दोहराई और कहा कि कोरोना संकट के इस दौर में हड़ताल और आपसी टकराव सही नहीं है। सभी को आपसी सहयोग से किसानहित में काम करना चाहिए।

श्री हुड्डा के अनुसार फोन पर चर्चा के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने आश्वसन दिया की आज किसान और आढ़तियों से बात कर समाधान निकाला जाएगा। नेता प्रतिपक्ष ने सरकार से पूरी ख़रीद के साथ मंडियों में ज़रूरत के मुताबिक तिरपाल और बारदाने की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया।
 

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