सरकार एससी/एसटी कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में डाले: कांग्रेस

कांग्रेस ने मोदी सरकार पर अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार कानून कमजोर करने के खिलाफ हुए आंदोलन के दबाव में विधेयक लाने का आरोप लगाते हुए कानून को सुरक्षित बनाने के लिए इसे संविधान की नौवीं अनुसूची;

Update: 2018-08-06 18:03 GMT

नयी दिल्ली।  कांग्रेस ने मोदी सरकार पर अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार कानून कमजोर करने के खिलाफ हुए आंदोलन के दबाव में विधेयक लाने का आरोप लगाते हुए कानून को सुरक्षित बनाने के लिए इसे संविधान की नौवीं अनुसूची में डालने की सरकार से आज मांग की।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस कानून के कुछ प्रावधानों को उच्चतम न्यायालय ने मार्च में समाप्त कर दिया था जिसके विरोध में पूरे देश में आंदोलन हुए जिसके कारण सरकार अनुसूचित जातियां तथा अनुसूचित जनजातियां (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक 2018 लेकर आयी हैं। इसके अलावा इस साल के अंत तक कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिन्हें देखते हुए सरकार यह विधेयक लाने को मजबूर हुई है।

उन्होंने कहा कि विधेयक के पारित हाेने के बाद भी उच्चतम न्यायालय इसके प्रावधानों को खत्म कर सकता है, इसलिए इस कानून को नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए ताकि भविष्य में न्यायालय इसे निष्प्रभावी नहीं कर सके। उन्होंने कानून को कमजोर करने के खिलाफ हुए आंदोलन के दौरान जेल गए लोगों को रिहा करने तथा मामले वापस लेने की भी मांग की। इससे पहले पार्टी ने लोकसभा में भी विधेयक पर हुई चर्चा के दौरान इसे नौवीं अनुसूची में डालने की मांग की थी।

खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार एससी/एसटी कानून को लगातार कमजोर करती रही है। कांग्रेस सरकार 2014 में इस संबंध में अध्यादेश लायी थी लेकिन मोदी सरकार ने अध्यादेश समाप्त होने दिया और कानून नहीं बनाया।

इसके बाद तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2015 में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा कि दलितों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ रही है इसलिए कानून बनाएं लेकिन सरकार ने उनकी सलाह पर ध्यान नहीं दिया। अब 2016 में कुछ राज्यों में चुनाव हैं जिन्हें देखते हुए सरकार विधेयक लायी। 

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