सरकार जम्मू-कश्मीर की क्षेत्रीय भाषाओं के विकास के प्रति वचनबद्ध: रेड्डी

केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने आज कहा कि सरकार जम्मू कश्मीर में सभी क्षेत्रीय भाषाओं को बढावा देने तथा उनके विकास के प्रति वचनबद्ध है।;

Update: 2020-09-23 15:24 GMT

नयी दिल्ली। केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने आज कहा कि सरकार जम्मू कश्मीर में सभी क्षेत्रीय भाषाओं को बढावा देने तथा उनके विकास के प्रति वचनबद्ध है।

श्री रेड्डी ने आज राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक 2020 पर हुई बेहद संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों की बहुत पुरानी मांग थी कि डोगरी, हिन्दी और कश्मीरी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में उर्दू और अंग्रेज़ी के साथ डोगरी, हिन्दी और कश्मीरी को केन्द्र शासित प्रदेश की आधिकारिक भाषाओं की सूची में शामिल किया जा रहा है।

उनके जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया जिससे इस पर संसद की मुहर लग गयी। लोकसभा ने इस विधेयक को मंगलवार को ही पारित किया था। विधेयक पारित होने के समय विपक्ष के अनेक दल सदन में मौजूद नहीं थे।

उन्होंने कहा कि सरकार सदस्यों की भावना के अनुरूप केन्द्र शासित प्रदेश की सभी क्षेत्रीय भाषाओं विशेष रूप से पंजाबी , पहाडी और गुजरी के विकास के प्रति वचनबद्ध है। इन भाषाओं के विकास के संबंध में विधेयक में भी प्रावधान किये गये हैं।

श्री रेड्डी ने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोग पिछले 70 वर्षों से यह मांग कर रहे थे जिसे इस विधेयक के माध्यम से आज पूरा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 1954 से राज्य में केवल उर्दू और अंग्रेजी को ही आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त था। केन्द्र शासित प्रदेश में केवल 0.16 प्रतिशत लोग ही उर्दू बोलते हैं जबकि कश्मीरी और डोगरी बोलने वालों की आबादी 74 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा कि अब पांच भाषाओं को केन्द्र शासित प्रदेश की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिये जाने से करीब 98 प्रतिशत आबादी की भाषा आधिकारिक भाषा के दायरे में आ गयी है। उन्होंने कहा कि केन्द्र शासित प्रदेश में दो लाख 16 हजार लोग यानी 1.78 फीसदी पंजाबी भाषा बोलते हैं और सरकार इसके विकास पर विशेष ध्यान देगी। गृह राज्य मंत्री ने कहा कि सरकार सभी सदस्यों के सुझावों पर ध्यान देगी।

इससे पहले शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल ने पंजाबी भाषा केे विकास का मुद्दा उठाते हुए सरकार से इसे उचित प्रोत्साहन दिये जाने की मांग की।

पीडीपी के मीर मोहम्मद फय्याज ने पहाड़ी , पंजाबी और गुजरी को भी आधिकारिक भाषा का दर्जा दिये जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार को इन समुदायों के लोगों का विश्वास जीतने और इनका विकास करने की ओर ध्यान देना चाहिए।

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