नारियल के ऊपरी हिस्से से उपयोगी सामान बनाकर बना रही है वैश्विक पहचान
दो साल पहले शुरु किया था कारोबार अब पूरे देश में लोग कर रहे हैं पसंद;
ग्रेटर नोएडा। केरल नारियल के उत्पादन में पूरे देश में जाना जाता है, यहां पर नारियल उपरी हिस्से को फेंक दिया जाता है,उसी वेस्ट मटेरियल में अर्थशास्त्र की विद्यार्थी मारिया ने स्टार्टप शुरु किया जो आज देश के साथ वैश्विक पहचान मिल रही है।
इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में लगे भारतीय हस्तशिल्प एवं उपहार दिल्ली मेले में थीम पवैलियन पर नारियल के खोल से बनी क्रॉकरी, इत्र की बोतल, डोल्ची, कप, स्टैंड अनायास ही लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहे थे।
थीम पवैलियन पर लगे थेंगा (तमिल और मलयालम में नारियल) स्टॉल पर नारियल के खोल से बने खूबसूरत डिजाइन और फिनिशिंग वाले उत्पाद ईको फ्रेंडली होने के साथ कचरा प्रबंधन का भी उपाय प्रदर्शित कर रहे हैं।
हस्तशिल्प प्रदर्शनी के पहले दिन बड़ी संख्या में विदेशी खरीदारों ने उनके उत्पादों के सैंपल लिए। थेंगा स्टॉल पर डिजाइनर और कंपनी की संस्थापक मारिया ने बताया कि केरल, तामिलनाडू में बड़ी तादात में नारियल पानी का कारोबार चलता है। पानी निकालने के बाद उसमें बचे नारियल खोल कचरे की तरह जला दिया जाता है। मारिया ने इकोनॉमिक्स की पढ़ाई की है, लेकिन वह एंटरप्रेन्योर बनना चाहती थीं।
पर्यावरण को बचाने के लिए उन्होंने नारियल के खोल से ही उत्पाद बनाने की ठानी। वर्ष 2020 में आए कोविड महामारी के समय में उन्होंने इसके लिए स्वयं डिजाइन तैयार किए और उत्पादों की तैयारी में लग गईं।
उन्होंने बताया कि कई प्लेन बाउल, कप, कैटलरी समेत 40 उत्पाद बनाए। पिछले दो वर्षों में यूरोप और अमेरिकी देशों में उनके उत्पादों को पसंद किया गया और बड़ी संख्या में ऑर्डर मिल रहे हैं।
एक्सपो मार्ट में चल रही हस्तशिल्प प्रदर्शनी में एंटरप्रेन्योर को बढ़ावा देने के लिए उन्हें ईपीसीएच की ओर से मुफ्त में स्टॉल मुहैया कराया गया है। उनका कहना है कि यहां आने वाले विदेशी खरीदारों से उनको निर्यात का बड़ा अवसर मिलेगा।