चार बेटियों ने मां की चिता को दिया कंधा

कोरबा ! कैंसर की बीमारी के कारण जिंदगी व मौत से जूझ रही गीता ठाकुर ने अंतत: दुनिया छोड़ दी। पति की मौत के बाद से मुफलिसी में जीवन गुजार रही गीता की चार बेटियां ही बेटे की तरह सहारा देती रहीं।;

Update: 2017-02-06 21:49 GMT

गरीब परिवार की मदद के लिए बस्तीवासियों ने बढ़ाए हाथ
कोरबा !  कैंसर की बीमारी के कारण जिंदगी व मौत से जूझ रही गीता ठाकुर ने अंतत: दुनिया छोड़ दी। पति की मौत के बाद से मुफलिसी में जीवन गुजार रही गीता की चार बेटियां ही बेटे की तरह सहारा देती रहीं। गीता की मौत के बाद चारों बेटियों ने मां की अर्थी उठाई और मुक्तिधाम में मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार की रस्म निभाई।
नगर पालिक निगम क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 6 पुरानी बस्ती निवासी धर्मेन्द्र ठाकुर ने पहली पत्नी की मौत के बाद गीता ठाकुर से दूसरा विवाह किया था। 10 साल पहले धर्मेन्द्र की मौत हो गई और परिवार का सारा बोझ गीता और उसकी चार बेटियों अंजना 22 वर्ष, संजना 19 वर्ष, रंजना 17 वर्ष व सोनिया 13 वर्ष पर आ गया। अंजना व संजना ने दुकान में काम कर घर की जिम्मेदारियों में मां को मदद करना शुरू किया। जैसे-तैसे जीवन काट रहे इस परिवार पर दुखों का पहाड़ तब टूटा जब पता चला कि गीता को माउथ कैंसर हो गया है। शासन के स्मार्टकार्ड से रायपुर के कैंसर अस्पताल में ईलाज शुरू हुआ लेकिन कार्ड की राशि खत्म होने के बाद पुन: पंजीयन कराने में दिक्कत हुई और गीता को कोरबा ले आये। यहां जिला अस्पताल में उसे अपेक्षित उपचार लाभ नहीं मिला और घर में ही रहकर जीवन से संघर्ष करते हुए दम तोड़ दिया। गीता की मौत से रिश्तेदारों और बस्तीवासियों में शोक की लहर दौड़ गई।  बस्ती के लोगों ने दुख की घड़ी में लड़कियों को संबल दिया और अंतिम संस्कार की तैयारी कराई। बिलखती हुई बेटियों ने मां की अर्थी को कांधा दिया और मोतीसागर पारा मुक्तिधाम जाकर चारों बेटियों ने एक साथ मुखाग्नि दी।

 

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