'लड़कियां यौन इच्छाओं पर काबू रखें', हाई कोर्ट की टिप्पणी की सुप्रीम कोर्ट ने की निंदा

कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ हुए अनाचार के मामले को लेकर पहले से ही बवाल मचा हुआ है कि अब महिलाओं को लेकर की गई टिप्पणी पर कोलकाता हाई कोर्ट को फटकार लगी है। हाई कोर्ट ने महिलाओं को उनकी यौन इच्छाओं पर कंट्रोल करने की नसीहत दी थी जिसे आपत्तिजनक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे ख़ारिज कर दिया। साथ ही मामले में हाईकोर्ट का फैसला भी पलट दिया है;

Update: 2024-08-20 18:17 GMT

कोलकाता। कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ हुए अनाचार के मामले को लेकर पहले से ही बवाल मचा हुआ है कि अब महिलाओं को लेकर की गई टिप्पणी पर कोलकाता हाई कोर्ट को फटकार लगी है। हाई कोर्ट ने महिलाओं को उनकी यौन इच्छाओं पर कंट्रोल करने की नसीहत दी थी जिसे आपत्तिजनक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे ख़ारिज कर दिया। साथ ही मामले में हाईकोर्ट का फैसला भी पलट दिया है।


सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाई कोर्ट को ज़ोरदार फटकार लगाई है। महिलाओं को लेकर हाई कोर्ट की टिप्पणी पर कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा कि ये टिप्पणियाँ न केवल "अत्यधिक आपत्तिजनक" थीं, बल्कि "पूरी तरह से अनुचित" भी थीं, क्योंकि इससे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नाबालिगों के अधिकारों का उल्लंघन होता है।

बता दें कि हाई कोर्ट ने नाबालिग लड़की के साथ संबंध बनाने वाले 20 साल के एक युवक को बरी कर दिया और साथ ही ये टिप्पणी की थी कि किशोरियों को अपनी यौन इच्छाओं पर काबू रखना चाहिए। वे दो मिनट के सुख के लिए समाज की नजरों में गिर जाती हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने ना सिर्फ हाई कोर्ट की इस टिप्पणी को ख़ारिज कर दिया बल्कि कोर्ट के फैसले को भी पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में लोअर कोर्ट के उस आदेश को बहाल कर दिया। जिसमे POCSO एक्ट के तहत दोषी को 20 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों को फैसला कैसे लिखना चाहिए, इसे लेकर भी निर्देश जारी किए।

कोर्ट ने हाई कोर्ट के केस की मेरिट के आधार पर फैसला सुनाने की बजाय व्यक्तिगत विचार व्यक्त करने और उपदेश देने के लिए जजों की कड़ी निंदा की। कोर्ट ने उत्पीड़न से जुड़े मामलों में अदालतों की पीड़िता को ही शर्मसार करने रूढ़िबद्ध करने की सामान्य प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की।

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