इलाहाबाद में गंगा और यमुना का जलस्तर घटा

 तीर्थराज प्रयाग में पतित पावनी गंगा और श्यामल यमुना नदी के तेजी से घटने के कारण तराई क्षेत्रों में रहने वाले लोगों ने राहत की सांस ली है;

Update: 2018-09-13 14:44 GMT

इलाहाबाद।  तीर्थराज प्रयाग में पतित पावनी गंगा और श्यामल यमुना नदी के तेजी से घटने के कारण तराई क्षेत्रों में रहने वाले लोगों ने राहत की सांस ली है। 

सिंचाई विभाग बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता मनोज कुमार सिंह ने बताया कि पिछले 24 घंटे में गंगा के जलस्तर में 49 सेमी की गिरावट आयी है जबकि इस दौरान यमुना का जलस्तर 65 सेंटीमीटर घटा है। दोनो नदियों के जलस्तर में घटाव का प्रमुख कारण मध्य प्रदेश, उत्तरखण्ड में बारिश के रूकने और बंधों से पानी नहीं छोड़ने के कारण हुआ है। गंगा और यमुना का जलस्तर तीन सेंटीमीटर प्रति घंटे की गति से घट रहा है।

बाढ़ नियंत्रण कक्ष के अनुसार फाफामऊ में सुबह गंगा का जलस्तर 82.63 मीटर, छतनाग में 81.61 और नैनी (यमुना) में 82.30मीटर दर्ज किया गया है जबकि बुधवार को इसी समय गंगा फाफामऊ में 83.12, छतनाग 82.22 और नैनी (यमुना) 82.95 मीटर दर्ज किया गया था।

दोनो नदियों के जलस्तर के घटने का क्रम बुधवार दोपहर बाद से जो शुरू हुआ शाम चार बजे तक घटकर 83.05, 82.12 और 82.80 पर आ गया था। उसके चार घंटे बाद रात आठ बजे घटकर 82.96, 81.01 और 82.68 रह गया।

गंगा और यमुना किनारे बसे बाढ़ के कारण बघाड़ा, ढ़रवरिया और नेवादा आदि गांवों से पलायन कर चुके सैकड़ों लोग पुन: घर लौटने लगे हैं। इस क्षेत्रों में किराये के मकान में रह रहे विश्वविद्यालय और डिग्री कालेजों के विद्यार्थी और प्रतियोगी छात्र कमरे छोड़ कर चले गये थे,उनकी वापसी भी शुरू हो गयी।

बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद नागेन्द्र सिंह पटेल मुबारकपुरी, पूरनपुर कछार, नरहा, झिंगहा, घाटमपुर ऊधमपुर समेत कई गांवों का दौरा किया और सोरांव के तहसीलदार को बाढ़ की स्थिति पर नजर रखने का निर्देश दिया।

घाट छोड़कर पीछे तख्तों को लाने वाले तीर्थ पुरोहित धीरे-धीरे घाट की तरफ डेरा बढाने लगे और मालाफूल बेचने वालों में चहल पहल बढने लगी है। आम धारणा है कि प्रयाग के कोतवाल कहे जाने वाले बड़े हनुमान का जलाभिषेक करने के बाद गंगा जी का जलस्तर धीरे-धीरे घटने लगता है। गंगा का जल हनुमान मंदिर से काफी दूर निकल गया है जिससे मंदिर और उसके आसपास श्रद्धालुओं, दुकानदारों, नाविकों में चहल-पहल और भिक्षाटन कर पेट पालने वाले कतारबद्ध बैठे भिक्षुकों की जमात फिर बढ़ने लगी है।

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