पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने किया आत्मसमर्पण, जमानत पर छूटे

प्रतिबंधित क्षेत्र में जुलूस निकालने और मार्ग अवरुद्ध करने के एक मामले में आज बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने सांसदों एवं विधायकों के मामलों की सुनवाई के लिए पटना में गठित एक विशेष अदालत में आत्मसमर्पण किया;

Update: 2022-06-27 23:14 GMT

पटना। प्रतिबंधित क्षेत्र में जुलूस निकालने और मार्ग अवरुद्ध करने के एक मामले में आज बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने सांसदों एवं विधायकों के मामलों की सुनवाई के लिए पटना में गठित एक विशेष अदालत में आत्मसमर्पण किया, जहां बाद में उन्हें जमानत पर मुक्त कर दिया गया।

विशेष अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी आदिदेव की अदालत में आत्मसमर्पण और जमानत याचिका दाखिल कर श्री मांझी की ओर से कहा गया कि इस मामले के आरोप की धाराएं जमानती हैं और श्री मांझी पूर्व से पुलिस द्वारा दी गई जमानत पर हैं और उन्होंने जमानत का दुरुपयोग नहीं किया है। श्री मांझी की ओर से उन्हें जमानत पर मुक्त करने की प्रार्थना की गई थी। प्रार्थना स्वीकार करते हुए अदालत ने श्री मांझी को 10 हजार रुपये के निजी मुचलके के साथ उसी राशि के एक जमानतदार का बंध-पत्र (बॉन्ड पेपर) दाखिल करने पर जमानत पर मुक्त किए जाने का आदेश दिया।

मामला वर्ष 2020 का है। आरोप के अनुसार, 29 जनवरी 2020 को अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के सैकड़ों लोगों ने एनआरसी और सीएए के विरोध में पटना के डाकबंगला चौराहे पर जुलूस की शक्ल में इकट्ठा होकर मार्ग को अवरुद्ध कर दिया एवं आवागमन ठप कर दिया था जिसमें श्री जीतनराम मांझी के अलावा अन्य नेता भी शामिल थे। पुलिस ने इस मामले की प्राथमिकी कोतवाली थाना कांड संख्या 83/2020 के रूप में भारतीय दंड विधान की धारा 147, 148, 149, 188, 341, 342, 323, 504 और 506 के तहत दर्ज की थी। मामले में अनुसंधान के बाद पुलिस ने श्री मांझी समेत 10 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है।

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