फिल्म रिव्यू जानें, कैसी फिल्म है 'उजड़ा चमन'

पिछले कुछ समय से हिंदी सिनेमा के दर्शकों की पसंद में बदलाव आया है या तो वो हॉलीवुड की फिल्म देखना पसंद करते;

Update: 2019-11-01 18:32 GMT

पिछले कुछ समय से हिंदी सिनेमा के दर्शकों की पसंद में बदलाव आया है या तो वो हॉलीवुड की फिल्म देखना पसंद करते है या कम बजट की लीग से हटकर फिल्मों को, पहले ऐसी फिल्मों को हम पैनोरोमा सिनेमा या आर्ट मूवी कहकर अलग कर दिया करते थे लेकिन अब इन्हीं फिल्मों में मनोरंजन का पुट देकर इसे आम दर्शकों तक पहुंचा दिया है, हम बात कर रहे है इस सप्ताह रिलीज़ फिल्म "उजड़ा चमन" की जिसमें आजकल की समस्या जो हर घर में देखने को मिल जाती है, बाल सफ़ेद होना या कम उम्र में बालों का उड़ जाना, आज की इस भागती दौड़ती जिंदगी में हम एक ऐसी लाइफ जी रहे है जिसमें पॉल्युशन तो है ही साथ में केयरलेस लाइफ भी है। उजड़ा चमन के साथ हॉलीवुड की फिल्म टर्मिनेटर: डार्क फेट रिलीज़ हुई जो टर्मिनेटर 2: जजमेंट डे का सीक्वल है जिसमें अर्नॉल्ड श्वार्जनेगर, लिंडा हेमिल्टन, मैकेंजी डेविस और नतालिया रेयेस है, फिल्म की कहानी के बारे में बात करे तो सारा यानि लिंडा हेमिल्टन की कहानी है जो अपने बेटे की मौत का बदला टर्मिनेटर टी -800 यानि अर्नॉल्ड श्वार्जनेगर से लेना चाहती है अर्नॉल्ड जो अब एक आम ज़िन्दगी जी रहा है। निर्देशक टिम मिलर ने फिल्म में जबरदस्त एक्शन डाले है जिसको देखकर दर्शक रोमांच महसूस करेंगे तो कई जगह इमोशनल सीन भी आपको प्रभावित करेंगे। एक्शन से भरपूर फिल्म देखने वालो के लिए यह एक अच्छी फिल्म है, वैसे भी हिंदी दर्शक अर्नॉल्ड को काफी पसंद करते है जिनका नाम लेते ही 'आई विल बैक' डायलॉग याद आ जाता है। 

अब बात करते है हिंदी फिल्म 'उजड़ा चमन' की जिसमें सनी सिंह, मानवी गगरू, सौरभ शुक्ला, करिश्मा शर्मा, अतुल कुमार, ग्रुशा कपूर और ऐश्वर्या सखूजा है। निर्देशक अभिषेक पाठक ने कन्नड़ में आई फिल्म 'ओंडू मोट्टेया कठे' का कॉपी राइट लेकर फिल्म का निर्माण किया है जो एक आम ज़िन्दगी की आम परेशानी को दिखाती है यानि समय से पहले बालों का उड़ जाना जिसकी वजह से लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिसमे सबसे बड़ी बात है शादी का न हो पाना और दूसरा बड़े बड़े बच्चे भी अंकल कहकर सम्बोधित करके बन्दे का मोरल डाउन कर देते है यही इस फिल्म में दिखाया गया है। चमन कोहली यानि सनी सिंह जो दिल्ली यूनिवर्सिटी में हिंदी का लैक्चरार है जिसकी उम्र अभी 30 वर्ष ही है, लेकिन असमय उसके बाल उड़ जाने से हर जगह उसका मज़ाक उड़ाया जाता है और दूसरी समस्या उसकी शादी का न हो पाना उसकी ज़िन्दगी में दुखो का पहाड़ ले आता है जबकि एक ज्योत्षी गुरु सौरभ शुक्ला ने उसके माता पिता अतुल कुमार और ग्रुशा कपूर से कह रखा है की अगर इसकी शादी 31 साल की उम्र तक नहीं हुई तो यह ब्रह्मचारी या सन्यासी बन जाएगा, यह सुनने के बाद तो चमन और उसके माता पिता की रातों की नींद उड़ जाती है इसीलिए वो अपने लिए एक अदद लड़की तलाश करने लग जाता है यहाँ तक की जिस भी शादी में जाता है वहां भी लड़कियों पर चांस  मारता है और कई जगह विग लगाकर जाता है लेकिन बात नहीं बनती। इसी बीच उसकी ज़िन्दगी में अप्सरा यानि मानवी गगरू आती है जो उसके गंजेपन को देखने के बावजूद उससे शादी करना चाहती है लेकिन चमन को लगता है की यह उसके सपनों की रानी नहीं है उसके ख्वाब उसको मजबूर करने लगते है इससे शादी करने के लिए और शादी हो पाती है या नहीं यह तो सिनेमाघर जाकर ही पता चलेगा। निर्देशक का मुख्य उद्देशय यही है की किसी को भी उसकी ख़ूबसूरती की वजह से नहीं बल्कि उसकी अच्छाइयों की वजह से पसंद करना चाहिए। गंजापन किसी के लिए हीनता का सबब बन जाए यह सही नहीं है। जहाँ तक फिल्म में एक्टिंग की बात है सनी सिंह 'सोनू के टीटू की स्वीटी' के बाद उनको एक पूरी फिल्म में हीरो बनने का मौका मिला जिसको उन्होंने बड़ी सरलता से निभा दिया जबकि इस फिल्म को वो एक चुनौती समझकर ले सकते थे लेकिन फिल्म में बाकि कलाकारों के सामने वो थोड़े कमतर ही दिखे है। फिल्म में काफी समय बाद ग्रुशा कपूर  नज़र आती है जो अपनी एक्टिंग के साथ पूरा न्याय करती है और दर्शकों का मनोरंजन भी। बाकि सभी कलाकारों ने अपने किरदारों को  बखूबी निभाया है। इस फिल्म के साथ एक विवाद यह भी उठ रहा है की इसी सब्जेक्ट पर आयुष्मान खुराना की भी एक फिल्म जल्द ही रिलीज़ होने वाली है अब देखना यह है कि इन दोनों फिल्मों में से अच्छा बिज़नेस कौन कर पाता है। गीत संगीत की बात करे तो गीत दर्शकों को ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाया है। 
फिल्म समीक्षक 
सुनील पाराशर 

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