फिल्म रिव्यु - पानीपत
फिल्म 'पानीपत' के निर्देशक आशुतोष ने अपनी हर फिल्म में एक भव्यता दिखाई है या यूँ कह सकते है की उनकी फिल्म देखने के लिए एक अलग ही जेन्ड्री दिखाई देती हैं और इस बार भी वो काफी रिसर्च करके पानीपत की लड़ाई;
2019 के आखिरी महीने में बड़ी फिल्म रिलीज़ हुई है। इस फिल्म के निर्देशक आशुतोष गोवारिकर की हिस्टोरिकल फिल्म 'पानीपत' भी रिलीज़ हुई। जहाँ तक आशुतोष गोवारिकर की बात है उन्होंने हमेशा ही फिल्म को एक रिसर्च के उद्देशय से बनाया है। लगान और मोहनजोदाड़ो जैसी फिल्मों के निर्देशक आशुतोष ने अपनी हर फिल्म में एक भव्यता दिखाई है या यूँ कह सकते है की उनकी फिल्म देखने के लिए एक अलग ही जेन्ड्री दिखाई देती हैं और इस बार भी वो काफी रिसर्च करके पानीपत की लड़ाई को मद्देनज़र रखकर इस फिल्म का निर्माण किया। उनकी हर में लगभग दो से तीन साल का गैप रहता है, यह फिल्म की कहानी के हिसाब से ही लोकेशन चुनते है और फिल्म बनाते है।
फिल्म रिव्यु - पानीपत
कलाकार - कृति सैनन, अर्जुन कपूर, संजय दत्त, मोहनीश बहल, पद्मिनी कोल्हापुरे, नवाब शाह और जीनत अमान।
जितने भी छात्र दसवीं बारहवीं पास कर चुके है उन्हें इस ऐतिहासिक लड़ाई के बारे अच्छी खासी मालूमात होगी क्योंकि हर बार किताबों में पानीपत की लड़ाइयों का ज़िक्र होता आया है। जहाँ तक कहानी की बात है यह लड़ाई अफगानिस्तान के शासक अहमद शाह अब्दाली और मराठों के बीच हुई थी जिसमें मराठे अपनी इस लड़ाई को जीत नहीं पाते है जिसका कारण था आपसी फूट और रिश्तो में मतभेद। सदाशिवराव भाऊ यानि अर्जुन कपूर जो नानासाहब पेशवा यानि मोहनीश बहल की सेना में कुशल सेनानायक है और जिसकी रगों में हमेशा देशभक्ति भरी रहती है जो अपने देश के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार है। सदाशिवराव की लड़ाई के जोहर को लोग बहुत पसंद करते है, क्योंकि उदगीर के निज़ाम को हारने के बाद सदाशिवराव नानासाहब की आँखों का तारा बन जाता है उधर अहमद शाह अब्दाली यानि संजय दत्त का दिन पर दिन वर्चस्य बढ़ता जा रहा है जिसकी नज़र अब पुरे देश पर है वो वहां का शासक बनना चाहता है इसीलिए वो मराठों के साथ युद्ध करने के लिए वो नजीब-उद्-दौला का साथ देता है। फिल्म में राजनीतिक उथल पुथल के साथ साथ सदाशिवराव भाऊ और पार्वती यानि कृति सेनन की प्रेम कहानी भी चल रही है जो की फिल्म में ठंडी हवा के झोंके की तरह दर्शकों को राहत देती है। फिल्म में अहमद शाह अब्दाली के किरदार को संजय दत्त ने जबरदस्त तरीके से निभाया है, तो वहीँ अर्जुन कपूर सदाशिवराव के उस किरदार को दर्शकों के दिलों दिमाग में बिठाने में कामयाब नज़र नहीं आये। लेकिन कृति सैनन, मोहनीश बहल, पद्मिनी कोल्हापुरे और जीनत अमान अपने अपने किरदारों के साथ बखूबी न्याय कर पाए है। फिल्म देखकर ही लगता है की निर्माता ने सेट और डिज़ाइन बनाने में काफी खर्च किया है, दर्शकों का तो यहाँ तक कहना है की फिल्म में अर्जुन कपूर की जगह रणवीर सिंह होते तो इस फिल्म को सुपरहिट बनाने से कोई नहीं रोक सकता था। फिल्म में अजय अतुल का संगीत है जो दर्शकों को पसंद आएगा।
फिल्म समीक्षक
सुनील पाराशर