कम आवंटन से इसरो को कई परियोजनाएं प्रभावित होने की आशंका

इसरो तथा अन्य संबद्ध इकाइयों के लिए अंतरिक्ष विभाग को माँग से कम बजटीय आवंटन किये जाने के कारण कई महत्त्वपूर्ण परियोजनाएँ प्रभावित हो सकती हैं।;

Update: 2018-04-01 11:36 GMT

नयी दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) तथा अन्य संबद्ध इकाइयों के लिए अंतरिक्ष विभाग को माँग से कम बजटीय आवंटन किये जाने के कारण कई महत्त्वपूर्ण परियोजनाएँ प्रभावित हो सकती हैं।

अंतरिक्ष विभाग ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए जिस प्रकार से परियोजनाओं का खाका तैयार किया था उसके लिए उसने वित्त मंत्रालय से 16,569.91 करोड़ रुपये की माँग की थी, जबकि बजट में उसे 10,783.42 करोड़ रुपये ही दिये गये हैं। विभाग ने बताया कि कम आवंटन को देखते हुये उसने परियोजनाओं और कार्यक्रमों में फेरबदल किये हैं।

विभाग ने संसद की एक स्थायी समिति को जानकारी दी है कि पीएसएलवी के छठे चरण तथा जीएसएलवी एमके3 की भविष्य की लांचिंग, जीसैट के फॉलोऑन, सेमीक्रायो चरण के विकास, एडवांस्ड प्रक्षेपण यान के विकास आदि के मद में वह पुरानी योजना की तुलना में 1,787 करोड़ रुपये की कटौती की जाएगी ।

पीएसएलवी सी36 से सी50, कार्टोसैट-3, आरआईसैट-1ए, ओशनसैट-3 सीरीज, रिसोर्स सैट-3 सीरीज, एनआईएसएआर, एचआरसैट, जीसैट-20 और जीसैट 22/23/24 के मद में उसे 1,217 करोड़ रुपये की कटौती करनी होगी। इसके अलावा विभिन्न केंद्रों के आधुनिकीकरण तथा अन्य मदों में 2,298 करोड़ रुपये और स्वायत्त इकाइयों को दिये जाने वाले अनुदान में पहले के अनुमान के मुकाबले 484 करोड़ रुपये की कटौती की योजना है।
 

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