फेडरेशन की मांग, नीरज अपनी टिप्पणी पर दें सफाई
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के असामयिक निधन से बॉलीवुड में बाहर से आने वाले कलाकारों के प्रति अपनाए जाने वाले रवैये को लेकर आजकल चर्चा जोरों पर है।;
तिरुवनंतपुरम | अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के असामयिक निधन से बॉलीवुड में बाहर से आने वाले कलाकारों के प्रति अपनाए जाने वाले रवैये को लेकर आजकल चर्चा जोरों पर है। इस बीच मलयालम फिल्मों के अभिनेता नीरज माधव ने भी अपने वहां की फिल्म इंडस्ट्री को लेकर कुछ ऐसी ही टिप्पणी की है, जिसे लेकर वहां हलचल की स्थिति पैदा हो गई है। फेफ्का (फिल्म इम्प्लॉइज फेडरेशन ऑफ केरल) के प्रमुख बी. उन्नीकृष्णन ने कलाकारों के लिए काम करने वाली संस्था एएमएमए को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने माधव की टिप्पणी को लेकर नाराजगी व्यक्त की है। माधव ने कहा था कि इंडस्ट्री में नए कलाकारों को अनदेखा किए जाने का एक प्रचलन है।
पत्र में उल्लेख किया गया है कि माधव को साफ तौर पर यह बताना चाहिए था कि वह किस इंसान का जिक्र कर रहे हैं और अगर वाकई में इंडस्ट्री में इस तरह का प्रचलन है, तो वे सुनिश्चित करेंगे कि ऐसे लोगों के लिए यहां कोई जगह न हो।
माधव ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि वह सुशांत की मौत के बाद इस विषय पर अपनी बात रख रहे हैं कि किस तरह से युवा प्रतिभाओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने अपने निजी अनुभव का हवाला देते हुए यह भी कहा था कि इंडस्ट्री में एक नेटवर्क काम करता है, जिनके हाथ आपकी सफलता की डोर होती है। माधव ने कहा कि साल 2013 में शुरू हुए अपने इस छोटे से करियर में उनकी कमाई एक अभिनेत्री के हेयरड्रेसर से भी कम रही है।
संयोग की बात है कि उनका यह बयान एक ऐसे वक्त पर आया है, जब प्रोड्यूसर एसोसिएशन की तरफ से इस बात की मांग की गई है कि अगर कोविड-19 की वजह से आए इस मुश्किल घड़ी के दौरान इंडस्ट्री को आगे बढ़ना है, तो कलाकारों सहित अन्यों को अपने पारिश्रमिक को कम करने की दिशा में गंभीरता से सोचना होगा।