व्यवहारिक शिक्षा के पक्षधर थे स्वामी विवेकानंद : द्रौपदी

झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने आज कहा कि स्वामी विवेकानंद व्यवहारिक शिक्षा के पक्षधर थे और इसे मानव जीवन के लिए उपयोगी मानते थे;

Update: 2018-09-12 01:03 GMT

रांची। झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने आज कहा कि स्वामी विवेकानंद व्यवहारिक शिक्षा के पक्षधर थे और इसे मानव जीवन के लिए उपयोगी मानते थे।

श्रीमती मुर्मू ने स्वामी के शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में हुए ऐतिहासिक उद्बोधन के 126 वर्ष पूर्ण होने पर यहां आयोजित कार्यक्रम को संबंधित करते हुये कहा कि स्वामी विवेकानंद व्यवहारिक शिक्षा के पक्षधर थे और इसे मानव जीवन के लिए उपयोगी मानते थे। वह ऐसी शिक्षा चाहते थे, जिससे युवाओं का शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास हो।

राज्यपाल ने कहा कि वह युवाओं के सर्वांगीण विकास के पक्षधर थे। वह ऐसी शिक्षा चाहते थे जो जनसाधारण को जीवन संघर्ष के लिए तैयार करें, उनका चरित्र निर्माण करें, उनमें समाज सेवा की भावना विकसित करें तथा जो शेर जैसा साहस पैदा करें। उनके कथन, ‘उठो, जागो और तब तक न रुको, जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाय’ युवाओं में नवसंचार की भावना प्रबल करता है।

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