पुलिस की पिटाई से भड़के देशभर के किसान
9 महीने बाद भी किसानों के आंदोलन के कमजोर ना पड़ने पर अब सरकार उसे ताकत से दबाने में जुट गई है. खासतौर पर हरियाणा सरकार अब किसानों पर सख्ती दिखा रही है. पुलिस की ताकत का इस्तेमाल किसानों पर शुरू हो गया है. लेकिन सरकार का यह दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है.किसानों का आंदोलन और तेज हो गया है. कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल किसानों के समर्थन में उतर आए हैं.;
कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि वो ना तो हरियाणा सरकार के किसी सार्वजनिक कार्यक्रम को होने देंगे और ना ही सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के. लेकिन बीजेपी नेता किसानों को परेशान करने के लिए कोई ना कोई कार्यक्रम रख ही लेते हैं. 15 अगस्त से पहले दो सप्ताह तक हरियाणा बीजेपी ने तिरंगा यात्रा निकाली थी. मामला राष्ट्र ध्वज का था इसलिए किसानों ने इसका विरोध नहीं किया. लेकिन जब बीजेपी की ओर से करनाल में कार्यक्रम का ऐलान हुआ तो किसानों ने इसके विरोध का निर्णय ले लिया. जिसके बाद करनाल में बीजेपी के कार्यक्रम स्थल की ओर बढ़ रहे किसानों को रोकने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई. किसान नेताओं का आरोप है कि उनकी ओर से शांतिपूर्ण विरोध दर्ज कराने का फैसला किया गया था और खट्टर सरकार को इसकी जानकारी दे दी गई थी. लेकिन हरियाणा सरकार ने निहत्थे किसानों पर अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल किया.हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने भी सरकार पर आरोप लगाया है. इसके अलावा किसानों के विरोध को दबाने के लिए किस तरह के हथकंडे आजमाए जा रहे हैं, इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हुआ , जिसमें करनाल के एसडीएम आयुष सिन्हा को पुलिसकर्मियों को यह निर्देश देते हुए सुना जा सकता है. जो किसान आगे बढ़ने की कोशिश करे वो सही सलामत ना बचे. हालांकि अब वो इस पर अपनी सफाई देते हुए नज़र आ रहे हैं. उनका कहना है कि उनके वीडियो के साथ छेड़छाड़ की गई है. और जिस जगह ये सब हुआ वहां तो उनकी ड्यूटी ही नहीं थी. जिस पर सरकार ने भी भरोसा कर लिया है. लेकिन विपक्षी दलों ने सरकार की कार्रवाई को पूरी तरह से गलत करार दिया है. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने किसानों पर हुई हरियाणा पुलिस की कार्रवाई की निंदा की है. साथ ही मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है.