जीएसटी में सुधार करना आवश्यक : सीएआईटी
कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने कहा है कि जीएसटी के तहत विभिन्न कर स्लैब में विसंगतियां, असमानताएं और विरोधाभास मौजूद हैं और इन्हें जीएसटी परिषद द्वारा सुलझाया जाना आवश्यक है;
नई दिल्ली। कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने कहा है कि जीएसटी के तहत विभिन्न कर स्लैब में विसंगतियां, असमानताएं और विरोधाभास मौजूद हैं और इन्हें जीएसटी परिषद द्वारा सुलझाया जाना आवश्यक है।
इसके अलावा 28 फीसदी की स्लैब पर पुन: विचार किए जाने की आवश्यकता है और कई वस्तुओं को इस स्लैब के नीचे कम कर के दायरे में लाए जाने की आवश्यकता है।
सीएआईटी ने एक बयान में कहा है कि देश भर में व्यापारियों से जीएसटी पर बीते एक महीने में प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर महसूस किया जा रहा है कि सरकार द्वारा एक बड़ा अभियान जिला स्तर पर व्यापारियों के साथ सीधे संपर्क करने के लिए एवं भ्रम की स्थिति दूर करने और जीएसटी की प्रक्रियाओं के आसान और सही अनुपालन के लिए चलाए जाने और साथ ही व्यापारियों के प्रश्नों के प्रामाणिक समाधान प्रस्तुत करने की आवश्यकता है।
सीएआईटी के अध्यक्ष बी.सी. भरतिया ने सुझाव दिया, "यह उचित होगा कि जीएसटी अपनाए जाने की निगरानी के लिए प्रत्येक जिले में जीएसटी समितियों का गठन किया जाए, जिसमें कर अधिकारियों और व्यापारी वर्ग के प्रतिनिधि दोनों ही शामिल हों। साथ ही, राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर एक समान समिति व्यापारियों और सरकार के बीच एक वास्तविक उत्प्रेरक साबित होगी।"
सीएआईटी महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, "उम्मीद है कि वास्तविक रूप में जीएसटी एक अप्रैल, 2018 से एक स्थिर कराधान प्रणाली बन जाएगी। विभिन्न गतिविधियों के लिए विभिन्न चालान जारी करना भी एक ऐसा विषय है, जिसे लेकर व्यापारियों में अभी ज्ञान का अभाव है। लेखा एवं अभिलेखों का रखरखाव, करों का भुगतान करने की देनदारी, अग्रिम विनिर्णय, इत्यादि भी जीएसटी के अंतर्गत ऐसे ही कुछ अन्य क्षेत्र है, जिसके लिए व्यापारियों को प्रशिक्षित किए जाने की आवश्यकता है।"