उच्च न्यायालय के निर्देशो की अनदेखी कर रहा शिक्षा विभाग, सिसोदिया से लगाई गुहार

दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग पर आरोप है कि वह दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देशों की अनदेखी कर रहा है;

Update: 2017-07-24 23:35 GMT

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग पर आरोप है कि वह दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देशों की अनदेखी कर रहा है।

दरअसल सरकार से सहायता प्राप्त एक स्कूल के प्रधानाचार्य पर लगे आरोपो की जांच कर दो महीने में कार्रवाई करने संबंधी अदालत के निर्देश पर चार महीने  बीत जाने के बाद भी विभाग की ओर से अभी तक कार्रवाई पूरी नहीं किए जाने के बाद विभाग की इस कछुआ चाल पर स्कूल के शिक्षकों में भारी रोष है। यह मामला उत्तरी जिला के रूप नगर इलाके में स्थित एक स्कूल का है। 

आरोप है कि वर्ष 1987 में एक सरकारी स्कूल में कार्यरत धर्मवीर पर मारपीट का मामला दर्ज हुआ था इसके अलावा धर्मवीर पर एक अन्य  चोरी का मुकदमा भी दर्ज किया गया और उन्हें शिक्षा विभाग ने नौकरी से बर्खास्त कर दिया व बाद में अदालत ने उन्हें इस मामले में एक वर्ष की सजा भी सुनाई।

आरोप है कि धर्मवीर ने उक्त  मामले छुपाते हुए सरकार से सहायता प्राप्त स्कूल में टीचर की नौकरी हासिल कर ली। जबकि दिल्ली ऐजूकेशन एक्ट 1973 के तहत सरकारी स्कूल से निलंबित या बर्खास्त शिक्षक पुन: किसी भी सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूल में नौकरी नहीं पा सकता। 

मामला उजागर होने के बाद शिक्षा विभाग व स्कूल प्रबंधन के पास शिकायत पहुंचने पर  विभाग के तत्कालिन निदेशक ने कार्रवाई कर शिक्षक का वेतन रोक दिया।

मामला उच्च न्यायालय पहुंचा तो गत एक मार्च को निर्देश जारी कर शिक्षा विभाग से दो माह में जांच कर आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा था लेकिन चार माह बीत जाने के बाद भी शिक्षा विभाग ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की।  

दूसरी ओर आरोपी शिक्षक की मनमानी से परेशान स्कूल के कुछ शिक्षकों की ओर से अब दिल्ली सरकार के  उपमुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को लिखित शिकायत देकर कार्रवाई की मांग की है।

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