दिल्ली के शराब घोटाले में पूछताछ के लिए ईडी दफ्तर पहुंचे दुर्गेश पाठक

दिल्ली के आबकारी नीति घोटाले के सिलसिले में आम आदमी पार्टी (आप) के एमसीडी चुनाव प्रभारी और विधायक दुर्गेश पाठक सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुख्यालय पहुंचे।;

Update: 2022-09-19 12:22 GMT

नई दिल्ली: दिल्ली के आबकारी नीति घोटाले के सिलसिले में आम आदमी पार्टी (आप) के एमसीडी चुनाव प्रभारी और विधायक दुर्गेश पाठक सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुख्यालय पहुंचे। दुर्गेश पाठक सुबह करीब साढ़े दस बजे ईडी कार्यालय पहुंचे और उन्होंने एंट्री रजिस्टर पर दस्तखत किए और बिल्डिंग के अंदर चले गए।

सूत्रों ने बताया कि हाल ही में जब ईडी ने इस मामले में छापेमारी की तो पाठक को मुंबई में विजय नायर के घर पर पाया गया। नायर इस मामले में कथित आरोपी हैं। उस समय ईडी ने कथित तौर पर उनका मोबाइल फोन जब्त कर लिया था और उनके फोन से कुछ और चीजें बरामद की गई थीं।

यही कारण था कि पाठक को जांच में शामिल होने के लिए बुलाया गया है। सूत्रों ने कहा कि ईडी अब उनसे नायर के घर में उनकी मौजूदगी और वहां उनके व्यवसाय के बारे में पूछताछ करेगी।

पाठक के ईडी कार्यालय पहुंचने से पहले, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सोमवार सुबह ट्वीट किया कि ईडी ने पाठक को तलब किया है और जांच एजेंसी की आलोचना करते हुए पूछा था कि क्या उनका उद्देश्य शराब नीति के बजाय एमसीडी चुनावों को टारगेट करना है।

सिसोदिया ने ट्वीट किया, उनका लक्ष्य आबकारी नीति या आगामी एमसीडी चुनाव है।

ईडी ने अभी इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है। मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एफआईआर के आधार पर है।

सीबीआई ने शराब घोटाले में अपनी एफआईआर में सिसोदिया को आरोपी नंबर वन बनाया है। सीबीआई ने एफआईआर आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 477-ए (खातों का जालसाजी) के तहत दर्ज की है। सिसोदिया पर आरोप है कि शराब कारोबारियों को कथित तौर पर 30 करोड़ रुपये की छूट दी गई। लाइसेंस धारकों को उनकी इच्छा के अनुसार विस्तार दिया गया। आबकारी नियमों का उल्लंघन कर नियम बनाए गए।

एफआईआर, जिसे आईएएनएस ने एक्सेस किया है, उसमें दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, तत्कालीन आयुक्त (आबकारी) अरवा गोपी कृष्ण, तत्कालीन उपायुक्त (आबकारी) आनंद तिवारी और सहायक आयुक्त (आबकारी) पंकज भटनागर ने वर्ष 2021-22 के लिए आबकारी नीति से संबंधित निर्णय लेने और सक्षम प्राधिकारी के मंजूरी के बिना लाइसेंसधारियों को लाभ देने के इरादे से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

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