दुमका चारा घोटाला : सीबीआई अदालत ने 37 दोषियों को सजा सुनाई
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने बुधवार को यहां चारा घोटाला मामले में दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में 37 दोषियों को साढ़े तीन वर्ष से लेकर 14 साल तक की कैद की सजा सुनाई;
रांची। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने बुधवार को यहां चारा घोटाला मामले में दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में 37 दोषियों को साढ़े तीन वर्ष से लेकर 14 साल तक की कैद की सजा सुनाई। सभी दोषियों को कुल मिलाकर 29 करोड़ रुपये का जुर्माना अदा करने के आदेश भी दिए गए हैं।
अदालत ने 9 अप्रैल को 37 लोगों को दोषी करार दिया था और पांच आरोपियों को बरी कर दिया था। तत्कालीन पशुपालन विभाग के क्षेत्रीय निदेशक ओ.पी. दिवाकर को 14 वर्ष की सजा सुनाई गई है। उन्हें साजिश रचने के लिए सात वर्ष की सजा और अन्य सात वर्ष की सजा भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत सुनाई गई है।
इसी विभाग के तीन पूर्व कर्मचारियों को सात वर्ष की सजा सुनाई गई है और प्रत्येक पर एक करोड़ का जुर्माना लगाया गया है। बाकी 33 दोषियों को साढ़े तीन वर्ष की सजा सुनाई गई है और प्रत्येक पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
यह मामला दुमका कोषागार से 1991-1992 व 1995-1996 में धोखाधड़ी से 34.91 करोड़ रुपये की निकासी से जुड़ा हुआ है।
मामले में 1996 में 72 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इनमें कोई राजनेता नहीं शामिल था। साल 2004 में 60 आरोपियों के खिलाफ आरोप लगाए गए। मुकदमे के दौरान 14 आरोपियों की मौत हो गई, दो ने अपना अपराध कबूल किया और दो फरार हैं।
बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद चारा घोटाला 1996 में सामने आया था। लालू प्रसाद को चार मामलों में दोषी करार दिया गया है और वह सजा काट रहे हैं। उन्हें 23 मार्च को 14 साल के कारावास की सजा सुनाई गई।
लालू प्रसाद का वर्तमान में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली में इलाज चल रहा है।