सूखे के कारण इस साल बढ़ेगी पलायन की समस्या

जिले में इस वर्ष अल्प वर्षा के कारण सूखे कि स्थिति है और इस कारण जिले से काफी संख्या में मजूदरों का पलायन होने की संभावना है;

Update: 2017-09-23 14:18 GMT

बिलासपुर। जिले में इस वर्ष अल्प वर्षा के कारण सूखे कि स्थिति है और इस कारण जिले से काफी संख्या में मजूदरों का पलायन होने की संभावना है। मजदूर पलायन करने के लिए अभी से ही अग्रिम राशि ठेकेदारों से लेना शुरू कर दिए है। वहीं अलग-अलग प्र्रांतों में करीब दो सौ मजदूरों को ठेकेदारों द्वारा बंधक बनाकर रखा गया है जिन्हेंं छुड़ाने के लिए श्रम विभाग मशक्कत कर रहा है।

शासन की ढ़ेरों योजनाएं व रोजगार मूलक कार्य शुरू करवाएं जाने के बावजूद मजदूरों का पलायन व बंधक बनाए जाना शासन कि खामियों को उजागर करता है।

गौतलब है कि इस वर्ष शासन द्वारा अल्प वर्षा के कारण जिले को सूखा ग्रस्त घोषित किया गया है और रोजगार मूलक कार्यो की शुरूआत भी कर दी गई है। जिससे गरीब मजदूरों को रोजगार मिल सके लेकिन आलम यह है कि मजदूरों द्वारा अन्य प्रांत कमाने खाने-जाने के लिए अभी से एडवांस लिया जा रहा है। वहीं मजदूरों के सरदार गांव देहात में सक्रिय हो गए है और मोटी रकम देकर यहां के मजदूरों को अन्य जगह ले जाने का प्रयास कर रहे है।

बिल्हा, मस्तूरी, कोटा सहित जिले के अलग-अलग जगह से करीब दो सौ मजदूर अभी भी अन्य प्रातों में बंधक बनाकर रखे गए है। जिन्हें छुड़ाने का शासन द्वारा प्रयास किया जा रहा है। बंधक श्रमिक अधिनियम 1968 के तहत मई 2016 के बाद बंधक मजदूरों के पूनर्वास के लिए केन्द्र शासन द्वारा अब 40 हजार रूपए दिए जा रहे है। इसके पहले राज्य सरकार द्वारा 20 हजार कि भागीदारी थी जो अब सिर्फ केन्द्र शासन द्वारा दी जाएगी।

ईंट बनाने में कुशलता

देश के अलग-अलग राज्यों में लाल ईट बनाने के लिए यहां के मजदूरों को ले जाया जाता है क्योंकि यहां के मजदूर लाल ईट बनाने में माहिर है। जिसके कारण ज्यादातर मस्तूरी, बिल्हा विकासखण्ड के मजदूरों को इस काम के लिए सरदार ले जाते है। कुछ मजदूर आदतन पलायन करते वाले भी होते है। 

गांव में रोजगार होने एवं अन्य सुविधाएं होने के बाद भी पलायन करते है। विद्याडीह, बकरकुदा, परसाही, ओखर सहित कई गांव के मजदूर तो अभी से ही पलायन कर गए है।

मजदूरों को भोजन देने की नहीं हुई शुरूवात

जिले में मजदूरों को जुलाई 2017 से मुख्यमंत्री अन्न वितरण योजना के तहत मुफ्त में भोजन देने कि योजना थी, लेकिन अब तक शुरू नहीं हो पाई है। योजना का लाभ लगभग दो लाख संगठित असंगठित मजदूरों के साथ आसपास के गांव से शहर आने वाले दिहाड़ी मजदूरों को भी मिलना है। रायपुर में मजदूरों को भोजन देने की शुरूआत की जा चूकि  है। अब जिले के मजदूरों को भी योजना शुरू होने का बेसब्री से इंतजार है।

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