​​​​​घरेलू कपड़ा कारोबार GST से  प्रभावित नहीं होगा

देश भर में एक जुलाई से लागू होने वाले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में इनपुट टैक्स क्रेडिट का प्रावधान होने के कारण इससे घरेलू कपड़ा कारोबार के प्रभावित होने की आशंका नहीं है;

Update: 2017-06-29 14:08 GMT

नयी दिल्ली ।  देश भर में एक जुलाई से लागू होने वाले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में इनपुट टैक्स क्रेडिट का प्रावधान होने के कारण इससे घरेलू कपड़ा कारोबार के प्रभावित होने की आशंका नहीं है।

जीएसटी के विरोध में कपड़ा व्यापारी 27 से 29 जून तक तीन दिन की हड़ताल पर हैं। उनका तर्क है कि आजादी के बाद से पहली बार कपड़ों पर कर लगा जा रहा है। इससे इस उद्योग पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। सरकार ने जीएसटी में एक हजार रुपये तक के कपड़ों पर कर की दर पाँच प्रतिशत तथा इससे महँगे कपड़ों पर 12 प्रतिशत तय की है।

वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने घरेलू कपड़ा उद्योग को जीएसटी से नुकसान होने की बात को खारिज करते हुये कहा कि इससे सिर्फ विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को नुकसान होगा क्योंकि अब उन्हें भी कर चुकाना होगा।

उन्होंने कहा कि भले ही पहले कपड़ों पर कर नहीं लगाया जा रहा था, लेकिन धागों पर 12.5 प्रतिशत की दर से कर लगाया जा रहा था जो कपड़ों की कीमत में शामिल था। इस प्रकार जीएसटी लागू होने पर वास्तव में कपड़ों पर कर कम होगा।

जीएसटी में खादी के धागों पर शून्य प्रतिशत, अन्य सूती धागों तथा कपड़ा तैयार करने वाले धागों पर पाँच प्रतिशत और सिंथेटिक धागों पर 18 प्रतिशत कर लगाया गया है। पुरानी व्यवस्था में कच्चे धागों पर शून्य और ऊनी समेत अन्य सभी तरह के धागों पर 12.5 प्रतिशत कर की व्यवस्था थी।

अधिकारी ने कहा कि एक हजार तक के किसी भी कपड़े पर पाँच प्रतिशत कर लगाने और पूरी तरह इनपुट टैक्स क्रेडिट की व्यवस्था करने से इन पर वास्तव में कर कम हो गया है। इसके अलावा एक हजार रुपये से ज्यादा के कपड़ों पर भी जीएसटी 12 प्रतिशत रखी गयी है। इससे सूती कपड़ों कर होगा जबकि सिंथेटिक कपड़ों पर इसमें मामूली बढ़ोतरी होगी। अधिकारी ने बताया कि जीएसटी आने से कुटीर एवं छोटे कपड़ा उद्योगों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

वास्तविक नुकसान विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को होगा क्योंकि उनका कपड़ा विदेशों में तैयार होने से उन्हें देश में कोई कर नहीं देना होता था, लेकिन अब उन्हें अपने उत्पाद बेचने के लिए यहाँ कर देना होगा। उन्होंने कहा कि कपड़ा व्यापारियों के आंदोलन के पीछे इन्हें बहुराष्ट्रीय कंपनियों का हाथ है। 
 

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