"शांति विधेयक 'ट्रम्प विधेयक' है" , ये अमेरिकी दबाव के सामने आत्मसमर्पण की परिणति है : जयराम रमेश
कांग्रेस ने संसद के शीतकालीन सत्र में परमाणु क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने वाले शांति विधेयक को पारित करने को परमाणु दायित्व से संबंधित नियमों पर अमेरिकी दबाव से जुड़ा करार दिया है;
शांति विधेयक में जल्दबाजी परमाणु दायित्व पर अमेरिकी दबाव का परिणाम : कांग्रेस
नई दिल्ली। कांग्रेस ने संसद के शीतकालीन सत्र में परमाणु क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने वाले शांति विधेयक को पारित करने को परमाणु दायित्व से संबंधित नियमों पर अमेरिकी दबाव से जुड़ा करार दिया है।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने शनिवार को सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2026 के लिए अमेरिकी राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम के एक हिस्से में भारत का जिक्र है जिसमें परमाणु दायित्व नियमों पर अमेरिका और भारत के बीच संयुक्त मूल्यांकन का उल्लेख किया गया है।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि शांति विधेयक को लेकर सरकार की जल्दबाजी समझ आ गयी है कि यह शांति विधेयक वास्तव में 'ट्रम्प विधेयक' है जिसमें रिएक्टर उपयोग और प्रबंधन वादा अधिनियम है, इस कानून का उद्देश्य अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को खुश करना है। उनका कहना था कि संसद में इसी सप्ताह पारित शांति विधेयक, परमाणु क्षति में नागरिक दायित्व अधिनियम 2010 के प्रमुख प्रावधानों को कमजोर करता है, जिससे सुरक्षा और दायित्व पर चिंताएं पैदा होती हैं।
विपक्षी दलों ने विधेयक की आलोचना करते हुए कहा कि इस विधेयक प्रावधान सुरक्षा से समझौता करने वाले हैं और निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने वाला है। उनका कहना था कि खासकर छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों के लिए इस विधेयक के प्रावधान यही कहते हैं। उनहोंने कहा कि यह विधेयक अमेरिकी दबाव के सामने आत्मसमर्पण की परिणति है।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा पर विदेशी हितों को प्राथमिकता दे रही है। दूसरी तरफ सरकार का कहना है इस विधेयक का उद्देश्य सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ-साथ परमाणु ऊर्जा क्षमता को बढ़ावा देना और निवेश को आकर्षित करना है।