मनरेगा को लेकर वडिंग-श्रीनेत ने मोदी सरकार पर बोला हमला, कहा- "हाशिए पर पड़े लोगों से काम की कानूनी गारंटी छीन ली"
कांग्रेस ने शनिवार को अधिकार आधारित महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा ) को खत्म करने के लिए मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि इसने देश के गरीब और हाशिए पर पड़े लोगों से रोजगार के कानूनी अधिकार और गारंटी को छीन लिया है;
मोदी ने हाशिए पर पड़े लोगों से काम की कानूनी गारंटी छीन ली: वडिंग: श्रीनेत
चंडीगढ़। कांग्रेस ने शनिवार को अधिकार आधारित महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा ) को खत्म करने के लिए मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि इसने देश के गरीब और हाशिए पर पड़े लोगों से रोजगार के कानूनी अधिकार और गारंटी को छीन लिया है। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग और कांग्रेस सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म विभाग की चेयरपर्सन सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि यह देश के गरीबों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और महिलाओं पर एक व्यवस्थित हमला है।
राजा वडिंग ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पहले दिन से ही मनरेगा से गहरी नफरत थी। वह अक्सर इसका मजाक उड़ाते थे। उन्होंने विशेष रूप से नये विधेयक विकसित भारत वीबी जी राम जी के तहत राज्य के आवंटन को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने का जिक्र किया, जिसने मनरेगा की जगह ली है। उन्होंने कहा कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार मनरेगा को लागू करने में पहले ही असफल हो चुकी है, जबकि उसे सिर्फ 10 प्रतिशत ‘मैचिंग ग्रांट’ देना था। उन्होंने पूछा कि वह 40 प्रतिशत ‘मैचिंग ग्रांट’ कैसे देगी।
मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा इस मुद्दे पर पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की घोषणा का जिक्र करते हुए, राजा वडिंग ने उम्मीद जतायी कि वह (मुख्यमंत्री) केंद्र सरकार का मुकाबला कैसे किया जाये, इस बारे में कुछ सकारात्मक और रचनात्मक प्रस्ताव लेकर आएंगे।
श्रीनेत ने मनरेगा खत्म किये जाने को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों पर हमला करार दिया और कहा कि पीढ़ियों तक शोषण किये जाने वाले दलित, आदिवासी, पिछड़े और महिलाओं को मनरेगा के तहत सबसे ज्यादा काम मिला था। उन्होंने बताया कि यह मांग आधारित अधिकार था, जहां हर व्यक्ति अधिकार के तौर पर 100 दिन के काम की मांग कर सकता था। उन्होंने कहा कि मनरेगा में यह प्रावधान था कि अगर सरकार किसी व्यक्ति को काम नहीं दे पाती है, तो उसे आर्थिक मुआवजा दिया जाएगा।
वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने कहा कि मनरेगा ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदल दिया था। मनरेगा ने ग्रामीण गरीबी को 26 प्रतिशत कम करके और ग्रामीण रोजगार में सुधार करके ग्रामीण क्षेत्रों की तरक्की में मदद की थी। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान जब भाजपा सरकार हर मोर्चे पर पूरी तरह असफल हो गयी थी, तब मनरेगा देश के ग्रामीण गरीबों के लिए वरदान साबित हुई थी। उन्होंने कहा कि महिलाओं पर इसका सबसे बुरा असर पड़ेगा, उन्हें मनरेगा के तहत लगभग 50 प्रतिशत काम मिला।
श्रीनेत ने कहा कि मोदी सरकार ने इस विधेयक से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम हटाकर बहुत बड़ा पाप किया है। उन्होंने कहा कि गांधी जी का नाम सिर्फ़ अधिनियम पर ही नहीं था, बल्कि वह भारत की आत्मा में बसते हैं।
उन्होंने मोदी सरकार द्वारा भगवान राम के नाम को तीन अलग-अलग शब्दों के शॉर्ट फॉर्म में बदलने की कोशिश पर भी कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि यह उन लोगों के पाखंड को साबित करता है, जो अपने फ़ायदे के लिए धर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि मनरेगा 2005 में संसद में भाजपा सहित सभी पार्टियों के समर्थन से सर्वसम्मति से पास हुआ था, लेकिन इसे विपक्षी पार्टियों या संबंधित पक्षों को भरोसे में लिए बिना खत्म कर दिया गया। उन्होंने कहा कि तीन काले कृषि कानूनों की तरह, नया कानून वीबी जी राम जी भी बिना किसी सलाह-मशविरे के लाया गया। उन्होंने कहा कि इससे राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ भी पड़ेगा, क्योंकि अब उन्हें मनरेगा के तहत 10 प्रतिशत के बजाय
40 प्रतिशत हिस्सा देना होगा। उन्होंने भाजपा सरकार के इस दावे पर भी सवाल उठाये और कहा कि नये कानून के तहत 100 दिनों के बजाय 125 दिनों की गारंटी होगी, जबकि भाजपा शासन में मनरेगा के तहत सालाना औसत काम के दिन सिर्फ़ 42 ही थे।