जनसंसद में कर्मचारियों से मिले राहुल गांधी , मोदी सरकार पर सरकारी संस्थानों को 'खत्म' करने का लगाया आरोप
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष तथा लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा है कि सरकारी संस्थाओं का दमन और उनका निजीकरण सरकार की सबसे बड़ी दुर्नीति है और मौजूदा सरकार का यह कदम देश के लिए एक बहुत बड़ा अभिशाप बन गया है;
पोलियो का टीका बनाने वाली कंपनी के कर्मचारियों नहीं मिल रहा वेतन : राहुल
सरकारी संस्थानों को धीरे-धीरे खत्म करने की चल रही गहरी साज़िश, सरकार का यह कदम देश के लिए बेहद नुकसानदेह : राहुल गांधी
नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष तथा लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा है कि सरकारी संस्थाओं का दमन और उनका निजीकरण सरकार की सबसे बड़ी दुर्नीति है और मौजूदा सरकार का यह कदम देश के लिए एक बहुत बड़ा अभिशाप बन गया है।
गांधी ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि उनकी हाल ही हुई जन संसद में भारत इम्यूनोलॉजिकल्स तथा जैविकीय निगम लिमिटेड (बिबकॉल) के कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात हुई। इन कर्मचारियों ने अपनी स्थिति को लेकर जो बातें कहीं है वह बहुत हैरान करने वाली है और जो भी इसे सुनेगा हैरान हो जाएगा।
उन्होंने कहा "इस सरकारी कंपनी के कर्मचारी सालों से वेतनहीन हैं। अपने घर का ख़र्च चलाने के लिए कर्ज़, उधार और मजबूरी पर उनका जीवन टिका हुआ है। ये वही बिबकॉल है जो भारत में वैक्सीन बनाने वाली एकमात्र सरकारी कंपनी थी और जिसने पोलियो जैसी भयंकर बीमारी के उन्मूलन में ऐतिहासिक योगदान दिया। सरकार को कम कीमत पर वैक्सीन उपलब्ध कराने और हर बच्चे तक उसकी पहुंच सुनिश्चित करने में इसकी भूमिका निर्णायक रही है। लेकिन 2017 तक मुनाफ़े में चल रही इस कंपनी को जानबूझकर, योजनाबद्ध तरीक़े से घाटे के उद्यम में बदल दिया गया।"
गांधी ने आगे कहा "कारण साफ़ है ताकि सरकारी कॉन्ट्रैक्ट निजी कंपनियों को सौंपे जा सकें, निजी कंपनियां महंगे दाम पर वैक्सीन बेचकर भारी मुनाफ़ा कमाएं और उसकी कीमत आपकी जेब से निकाली जाए और एक दिन बिबकॉल को 'नुकसान' के नाम पर बंद कर इसकी संपत्ति मुफ्त या सस्ते दामों में पूंजीपति मित्रों में बांट दी जाए।"
उन्होंने बताया कि बिबकॉल कंपनी बुलंदशहर से संचालित होती थी और उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में स्थित इस कंपनी की ज़मीन और संपत्ति काफी महंगी है। जब से उत्तर प्रदेश में जेवर एयरपोर्ट बनाने की घोषणा हुई है उसके बाद इसकी कीमत आसमान छू रही है। उन्होंने कहा, ''इस कंपनी के कर्मचारियों की आर्थिक पीड़ा सरकार से साझा की है। उनके द्वारा आश्वासन दिया गया है कि कर्मचारियों का लंबित वेतन और बकाया जल्द दिया जाएगा।''
विपक्ष के नेता कहा कि यह चिंता की बात है कि सरकारी संस्थानों को धीरे-धीरे खत्म करने की बहुत गहरी साज़िश चल रही है और सरकार का यह कदम देश के भविष्य के लिए बेहद नुकसानदेह होगा। ये संस्थान जनता के हित के लिए बनाए गए थे ताकि युवाओं को रोज़गार मिले और लोगों को सस्ती, भरोसेमंद सेवाएं उपलब्ध हो सके लेकिन आज इन्हें ही बीमार बनाकर निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ़ 'निजीकरण'नहीं है - यह जनता की जेब पर हमला और भारत की आत्मा पर आघात है।