मनरेगा नाम बदलने पर विपक्ष का हमला, हरसिमरत कौर ने सरकार को घेरा
मनरेगा का नाम बदलकर 'विकसित भारत- जी राम जी' करने को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है और इसे मजदूरों के साथ धोखा बता रहा है;
गरीबों और मजदूरों के खिलाफ बताया गया विकसित भारत जी राम जी योजना
- महिलाओं और बेसहारा लोगों से रोजगार छीनने का आरोप विपक्ष ने लगाया
- दिल्ली प्रदूषण पर हरसिमरत कौर का निशाना, किसानों पर दोष मढ़ने का विरोध
- तारिक अनवर बोले प्रदूषण से बच्चों की सेहत और दिल्ली की औसत उम्र पर असर
नई दिल्ली। मनरेगा का नाम बदलकर 'विकसित भारत- जी राम जी' करने को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है और इसे मजदूरों के साथ धोखा बता रहा है। इसी कड़ी में शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि यह कदम साफतौर पर गरीबों और मजदूरों के खिलाफ है।
उनका कहना है कि मनरेगा गरीबों, बुजुर्गों, दिव्यांगों और बेसहारा लोगों के लिए बहुत जरूरी योजना थी। खासकर महिलाओं के लिए यह एक अहम जरिया था जिससे वे अपने परिवार का पेट भर सकती थीं और सम्मान के साथ जी सकती थीं।
उन्होंने कहा कि अब नाम बदलने और नई बोझिल शर्तें लगने से यह रोजगार भी गरीबों से छीन लिया गया है। जिन राज्यों पर 40 प्रतिशत का अतिरिक्त बोझ डाला गया है, वहां के गरीब परिवारों की हालत और मुश्किल हो जाएगी। हरसिमरत ने इसे सीधे तौर पर मजदूरों के साथ धोखा और काला कानून बताया। उनका कहना है कि जहां पहले पैसा कुशलता से इस्तेमाल होता था, अब वही राज्यों पर बोझ बन गया है।
इसी के साथ उन्होंने वायु प्रदूषण पर भी चिंता जताई। हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि दिल्ली में पिछले कई सालों से सरकारें अपने काम में ढिलाई बरत रही हैं। चाहे वह केजरीवाल की आम आदमी पार्टी हो या मौजूदा सरकार, दोनों ही अपनी जिम्मेदारियों से बचती रही हैं और पंजाब के किसानों पर सब दोष डाल दिया जाता है। लेकिन, असलियत यह है कि ये किसान मजबूरी में फसल जलाते हैं, क्योंकि उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं होता। अगर वे इसे नहीं जलाएंगे, तो अगली फसल कैसे उगाएंगे और अपना पेट कैसे भरेंगे?
कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई। उनका कहना है कि यह सिर्फ भारत का नहीं, बल्कि पूरी दुनिया का मुद्दा बन गया है। आज भारत के सभी बड़े शहरों में प्रदूषण है और सरकार ने कभी इसे कंट्रोल करने की इच्छाशक्ति नहीं दिखाई। जब प्रदूषण पूरी तरह से बढ़ जाता है, तभी लोगों की आंखें खुलती हैं। इसके नतीजे सामने हैं। बच्चों की सेहत खराब हो रही है, बुजुर्गों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है और दिल्ली में लोगों की औसत उम्र तक घट रही है।