अरावली विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड वन विभाग अधिकारी की याचिका की मंजूर, जानें क्या है पूरा मामला

अरावली को लेकर पूरे देश में माहौल गरमाया हुआ है। जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ जनता और विपक्ष सड़कों पर उतर आए हैं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एक ऐसी खबर सामने आई है। जिसने सबको एक बड़ी राहत दी है। साथ ही अरावली के बचाव के लिए होने वाले एक बड़े प्रदर्शन को रोकने का काम किया है;

Update: 2025-12-23 13:26 GMT

अरावली को खनन के लिए 100 मीटर की ऊंचाई के पैमाने से परिभाषित करने के खिलाफ दायर याचिका मंजूर


अरावली पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

अरावली मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। दरअसल कोर्ट ने अरावली को खनन के लिए 100 मीटर की ऊंचाई के पैमाने से परिभाषित करने के खिलाफ दायर याचिका मंजूर कर ली है। यह याचिका हरियाणा के एक रिटायर्ड वन विभाग अधिकारी ने दायर की थी। तो वहीं इससे पहले पहले, पर्यावरण मंत्रालय की एक समिति ने यह सिफारिश की थी कि 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली पहाड़ियों को अरावली माना जाए। अरावली को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब मोदी सरकार ने हाल ही में फैसला किया था कि ज़मीन से 100 मीटर या उससे ऊंची पहाड़ी ही अरावली पवर्तमाला का हिस्सा मानी जाएगी। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था लेकिन कोर्ट ने किसी तरह की राहत नहीं दी थी।

नई दिल्ली : अरावली को लेकर पूरे देश में माहौल गरमाया हुआ है। जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ जनता और विपक्ष सड़कों पर उतर आए हैं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एक ऐसी खबर सामने आई है। जिसने सबको एक बड़ी राहत दी है। साथ ही अरावली के बचाव के लिए होने वाले एक बड़े प्रदर्शन को रोकने का काम किया है।

मोदी सरकार ने हाल ही में फैसला किया था कि ज़मीन से 100 मीटर या उससे ऊंची पहाड़ी ही अरावली पवर्तमाला का हिस्सा मानी जाएगी। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। लेकिन कोर्ट ने किसी तरह की राहत नहीं दी थी। जिसके बाद सरकार के इस फैसले को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। सबसे ज्यादा प्रदर्शन राजस्थान में देखने को मिला क्योंकि अरावली का प्रमुख हिस्सा इसी राज्य में आता है।

जगह-जगह हो रहे इन प्रदर्शन के बीच अब सुप्रीम कोर्ट ने अरावली को खनन के लिए 100 मीटर की ऊंचाई के पैमाने से परिभाषित करने के खिलाफ दायर याचिका मंजूर कर ली है। यह याचिका हरियाणा के एक रिटायर्ड वन विभाग अधिकारी ने दायर की थी।

बता दें इससे पहले पहले, पर्यावरण मंत्रालय की एक समिति ने यह सिफारिश की थी कि 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली पहाड़ियों को अरावली माना जाए।

जैसे आप जानते हैं कि फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के मुताबिक, अरावली की लगभग 90% पहाड़ियां 100 मीटर के बेंचमार्क से कम हैं। अगर 90% पहाड़ियों को अरावली नहीं माना गया, तो उन पर से कानूनी सुरक्षा हट जाएगी और वहां धड़ल्ले से खनन यानी Mining का काम शुरू हो सकता है जिसे लेकर जनता और विपक्ष ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

आपको याद होगा 22 दिसंबर को राजस्थान के कई जिलों में प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस ने सरकार को बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दे दी थी।

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