दिल्ली सरकार द्वारा फंड रोकने का मुद्दा: शिक्षकों में खेमाबंदी
आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा दिल्ली के 28 कॉलेजों की वित्तीय सहायता रोकने के निर्णय के बाद अब उन 16 कॉलेज को दिल्ली विश्वविद्यालय के अधीन लेने की मांग हो रही है;
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा दिल्ली के 28 कॉलेजों की वित्तीय सहायता रोकने के निर्णय के बाद अब उन 16 कॉलेज को दिल्ली विश्वविद्यालय के अधीन लेने की मांग हो रही है जिन्हें राज्य सरकार मात्र पांच प्रतिशत की वित्तीय सहायता देती है। अब कांग्रेस ने भी इस फैसले का विरोध करते हुए कहा है कि दिल्ली सरकार और दिल्ली विश्वविद्यालय के बीच चल रही लड़ाई में अध्यापक, विद्यार्थी और नॉन टीचिंग स्टाफ बिना किसी वजह के पिस रहे हैं। शिक्षकों का एक समूह भी इस फैसले के विरोध में आ गया है।
नियुक्तियों में आ रही है परेशानी
इंडियन नेशनल टीचर एसोसिएशन के चेयरमेन डा. अश्विनी शंकर ने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार के भगवाकरण मिशन के कारण दिल्ली विश्वविद्यालय में एडहॉक टीचर्स को स्थायी करने की प्रक्रिया में रुकावट आ रही है। दिल्ली सरकार की पूर्व मंत्री डा. किरण वालिया इसे दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास में दिल्ली सरकार द्वारा पैदा किया गया संकट बताते हुए दुर्भाग्यपूर्ण कहती हैं। कांग्रेस पार्टी दिल्ली की सत्ता में 15 वर्ष रही परंतु ऐसा कभी नही हुआ, दिल्ली सरकार को तुरंत प्रभाव से अपना निर्णय बदलना चाहिएए नही तो लाखों विद्यार्थियों के हित संकट में आ जाएंगे। कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता श्रीमती शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी इसे वापिस लेने की मांग रखी।
खाली पड़े हैं 15 कॉलेज में प्रिंसीपल के पद
वहीं दिल्ली यूनिवर्सिटी एससी, एसटी ओबीसी टीचर्स फोरम के एक प्रतिनिधि मंडल ने आज दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से मुलाकात की और कहा कि दिल्ली सरकार के 28 कॉलेजों में पिछले 10 महीनों से गवर्निंग बॉडी के ना होने के कारण टीचिंग और नॉन टीचिंग में परमानेंट अपॉइंटमेंट की प्रक्रिया अवरुद्ध है। ओबीसी एक्सपेंशन का पैसा नाजायज उपयोग में लाया जा रहा है व 27 प्रतिशत शिक्षकों की नियुक्तियां अभी तक की नहीं गई है। इन कॉलेजों ने रोस्टर को डीओपीटी के नियमानुसार नहीं बनाया है जिससे आरक्षित वर्गो के बैकलॉग और शॉर्टफाल की व्यवस्था समाप्त कर दी गई। इसमें एससी,एसटी का बैकलॉग 16 साल और ओबीसी का बेकलॉग 6 साल का नहीं दिया जा रहा है। दिल्ली सरकार के लगभग 15 कॉलेजों में वर्षों से प्रिंसिपलों के पद खाली हैं, पिछले पे कमीशन के बाद से शिक्षकों की पदोन्नति नहीं हुई है और जल्द ही नया पे कमीशन आने वाला है। फोरम के डा. हंसराज सुमन ने कहा कि उपमुख्यमंत्री ने सभी मुद्दों पर ज्ञापन मांगा है।