दिल्ली की अदालत ने केंद्रीय मंत्री के आपराधिक मानहानि मामले में गहलोत को आरोप मुक्त करने से किया इनकार

दिल्ली की एक अदालत ने केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को आरोप मुक्त करने से इनकार कर दिया और कहा कि उनके अनुरोध में कोई दम नहीं है;

Update: 2023-09-20 07:23 GMT

नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को आरोप मुक्त करने से इनकार कर दिया और कहा कि उनके अनुरोध में कोई दम नहीं है।

यह मामला राजस्थान में संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले के संबंध में गहलोत द्वारा दिए गए कथित "भ्रामक बयानों" से संबंधित है।

बिना किसी उचित कारण के अदालत के समक्ष शेखावत के दो बार गैरहाजिर रहने का हवाला देते हुए आरोपमुक्त करने की मांग करने वाले गहलोत के आवेदन पर राउज एवेन्यू कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने कहा कि दस्तावेजों की आपूर्ति और जांच के लिए मामले की सुनवाई प्रश्‍न के दिन तय की गई थी।

उन्होंने कहा, "उन दिनों शिकायतकर्ता का हाजिर होना जरूरी नहीं था, खासकर यह देखते हुए कि शिकायतकर्ता के वकील अदालत के सामने मौजूद थे।"

उन्होंने आगे कहा कि उन्हें आरोपी के वकील द्वारा दी गई ऐसी दलीलों में कोई दम नजर नहीं आता।

उन्होंने कहा, "एर्गो, उपरोक्त चर्चा के आलोक में मौजूदा आवेदन खारिज किया जाता है।"

शेखावत ने इस साल मार्च में गहलोत के खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि संजीवनी मामले की जांच शुरू की गई थी, लेकिन उनके नाम का कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया था और भारतीय दंड संहिता की प्रासंगिक धाराओं के तहत आपराधिक मानहानि के लिए गहलोत के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की थी। उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा के नुकसान के लिए उचित वित्तीय मुआवजे की भी मांग की।

21 फरवरी को राज्य सचिवालय में बजट समीक्षा बैठक के बाद गहलोत ने कहा था कि माता-पिता और पत्‍नी सहित पूरा शेखावत परिवार संजीवनी घोटाले में शामिल था।

उन्होंने मानहानि का मुकदमा दायर करने का भी स्वागत करते हुए कहा था, ''इस बहाने कम से कम मामला आगे तो बढ़ेगा।''

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