वर्ष 2022 तक छत्तीसगढ़ को नक्सल समस्या से मुक्त करने का लक्ष्य तय: रामसेवक पैकरा
छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री रामसेवक पैकरा ने कहा कि राज्य को वर्ष 2022 तक नक्सल समस्या से मुक्त करने का लक्ष्य तय किया गया है;
रायपुर। छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री रामसेवक पैकरा ने कहा कि राज्य को वर्ष 2022 तक नक्सल समस्या से मुक्त करने का लक्ष्य तय किया गया है। सरकार उस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है।
पैकरा ने आज यहां पत्रकारों को रमन सरकार के गत 14 वर्ष के कार्यकाल में अपने विभागों की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य के नक्सल समस्या ग्रस्त इलाकों में नये और छोटे जिलों का निर्माण किया। इसके फलस्वरूप वहां नक्सल समस्या को समाप्त करने की दिशा में सरकार को अच्छी सफलता मिल रही है।उन्होने कहा कि जनता के सहयोग और सुरक्षा बलों की सजगता और सक्रियता से सरगुजा नक्सल मुक्त हो चुका है।बस्तर भी नक्सलवाद से मुक्त होगा।
उन्होंने बताया कि राज्य गठन के समय प्रदेश में पुलिस थानों की संख्या 293 और चौकियों की संख्या 57 थी।आज की स्थिति में प्रदेश में पुलिस थानों की संख्या बढ़कर 493 और पुलिस चौकियों की संख्या 113 हो गई है। वर्ष 2003 में पुलिस विभाग का बजट सिर्फ 288 करोड़ रूपए था, जो आज की स्थिति में वर्ष 2017-18 में बढ़कर तीन हजार 531 करोड़ 55 लाख रूपए तक पहुंच गया है।
पैकरा ने बताया कि राज्य गठन के समय पुलिस के सिर्फ 22520 पद स्वीकृत थे। विगत 14 वर्षों में पुलिस बल को सुदृढ़ करने की सरकार की नीति के तहत आज की स्थिति में स्वीकृत पदों की संख्या बढ़कर 49175 हो गई है। राज्य में इस समय पुलिस बल की संख्या बढ़कर 75 हजार 453 तक पहुंच गई है। श्री पैकरा ने बताया कि विगत 14 वर्षो में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल की बटालियनों की संख्या सात से बढ़कर 22 हो गई। वर्ष 2007 में एस.टी.एफ. बटालियन के गठन की स्वीकृति दी गई और 2733 नये पद निर्मित किए गए।
गृह मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की विशेष पहल पर केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सी.आर.पी.एफ.) की 12 बटालियनों में से एक बटालियन को बस्तरिया बटालियन के रूप में स्वीकृति मिली है। इस बटालियन में नक्सल प्रभावित चार जिलों सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा और नारायणपुर से आदिवासी संवर्ग के 739 पदों पर भर्ती की जा चुकी है।नक्सल प्रभावित जिलों में 75 थाना भवनों के निर्माण के लिए 150 करोड़ रूपए मंजूर किए गए। इनमें से 73 थानों भवनों का निर्माण पूर्ण कर लिया गया।
पैकरा ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री पुलिस आवास योजना के तहत राज्य में पुलिस कर्मचारियों के लिए दस हजार मकान बनवाए जा रहे हैं। वर्तमान में इनमें से 800 करोड़ रूपए की लागत से 6168 भवनों का निर्माण प्रगति पर है।उन्होने बताया कि छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसने प्लेसमेंट एजेंसियों के कार्यो के प्रभावी नियंत्रण और नियमन के लिए कानून बनाया है। बाल अधिकार अपराध अनुसंधान प्रकोष्ठ की स्थापन पुलिस मुख्यालय में की गई है। महिलाओं की मदद के लिए वन स्टाप सेंटर बनाया गया है।
उन्होने बताया कि वर्ष 2003 में राज्य में 26 जेलें थीं। इनमें चार केन्द्रीय जेल, 6 जिला जेल और 16 उपजेल थे।इनकी संख्या गत जून में बढ़कर 33 हो गई, जिनमें पांच केन्द्रीय जेल, 12 जिला जेल और 16 उपजेल शामिल हैं। जेलों में बंदियों की सुविधा के लिए आवास क्षमता भी बढ़ायी जा रही है। वर्ष 2003 में प्रदेश की जेलों में आवास क्षमता 4503 थी, जो मई 2017 तक बढ़कर 10 हजार 287 तक पहुंच गई।
पैकरा ने बताया कि जेलों में बंदियों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखकर सभी जिला अदालतों को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग प्रणाली से जोड़ा जा रहा है। इसके फलस्वरूप कई प्रकरणों में बंदियों को पेशी के लिए न्यायालय भेजने की जरूरत नहीं होगी। वीडियो कॉन्फ्रेसिंग से सुनवाई आसानी से होगी और प्रकरणों का जल्द से जल्द निराकरण किया जा सकेगा। इसके लिए भारत संचार निगम लिमिटेड (बी.एस.एन.एल.) के माध्यम से आठ जेलों और नौ जिला अदालतों में लीज लाइन का काम पूर्ण कर लिया गया है।