यूक्रेन के लिए लड़ने गए ब्रिटिश व मोरक्कन नागरिकों को मौत की सजा
रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन की मदद के लिए गए तीन लोगों को डोनबास इलाके में मौत की सजा सुनाई गई है। ब्रिटेन ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया है;
यूक्रेन में रूस की सेना के खिलाफ लड़ाई करते हुए पकड़े दो ब्रिटिश और एक मोरक्कोवासी को मौत की सजा सुनाई गई है। रूस के समर्थन वाले यूक्रेन के डोनबास इलाके में लगी रूस की एक अदालत ने यह फैसला सुनाया। हालांकि जिस अदालत ने यह सजा सुनाई है उसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त नहीं है। यह अदालत उस डोनेत्स्क गणराज्य में है जिसने रूस के समर्थन से अपने आपको स्वतंत्र घोषित कर दिया है।
रूसी मीडिया ने कहा कि ब्रिटेन के नागरिकों एडन आसलिन और शॉन पिनर व मोरक्को के रहने वाले ब्राहिम सौदून पर पेशेवर कातिल होने के आरोप लगाए गए थे। आरआईए नोवोस्ती ने कहा कि तीनों लोगों पर पेशेवर हत्या, सत्ता हासिल करने के लिए हिंसा और आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने के लिए ट्रेनिंग लेने जैसे संगीन आरोप थे।
रिहाई की कोशिश
दोनों ब्रिटिश नागरिकों के परिवारों का दावा है कि ये लोग यूक्रेन की सेना के ही सदस्य हैं और लंबे समय से सेवारत हैं। रूस की टैस न्यूज एजेंसी के मुताबिक इन लोगों के वकीलों ने कहा है कि वे फैसले के खिलाफ अपील करेंगे।
युनाइटेड किंग्डम और यूक्रेन ने इस फैसले की आलोचना की है और इसे युद्ध अपराधियों की सुरक्षा करने वाले अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया है। ब्रिटिश सरकार ने कहा कि दोनों नागरिकों को मौत की सजा सुनाए जाने को लेकर वह काफी चिंतिति है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि दोनों लोगों को रिहा कराने के लिए यूक्रेन के साथ मिलकर काम किया जा रहा है।
एक प्रवक्ता ने कहा कि युद्ध अपराधियों का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने जेनेवा कन्वेंशन की ओर इशारा किया जिसके तहत युद्ध अपराधियों को माफी का प्रावधान है। ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रस ने भी अदालत के फैसले की निंदा की इसे ऐसा "फर्जी फैसला" बताया जिसकी कोई वैधता नहीं है।
ट्रस ने कहा, "मेरी संवेदनाएं परिवारों के सात हैं। उन्हें मदद देने के लिए हम हर संभव कोशिश कर रहे हैं।" ब्रिटिश मीडिया की खबरें हैं कि ट्रस इस मामले पर यूक्रेन के विदेश मंत्री से फोन पर बात करने वाली हैं। एक संभावना यह जताई जा रही है कि ब्रिटेन में कैद कुछ रूसी लोगों के बदले इन दोनों ब्रिटिश नागरिकों को रिहा कराया जा सकता है।
जेनेवा समझौते की दुहाई
विदेशी मामलों की समिति के अध्यक्ष टॉम टूजेनहाट ने रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन पर "एक तरह की बदले की कार्रवाई करने और लोगों का अपहरण करने" का आरोप लगाया। उन्होंने बीबीसी रेडियो से कहा, "यह कोई देश नहीं है। यह कोई अदालत नहीं है। वे जज नहीं, आम लोग हैं जो लिबास पहनकर न्यायाधीश होने का स्वांग रच रहे हैं। सच्चाई यह है कि यह एक बेहद क्रूर कार्रवाई है जो तीन पूरी तरह निर्दोष लोगों के खिलाफ की गई है।"
असलिन जिस इलाके के रहने वाले हैं वहां के सांसद रॉबर्टन जेनरिक ने सरकार से मांग की है कि यूके में रूस के राजदूत को विदेश मंत्रालय में तलब किया जाए। उन्होंने कहा कि रूस ने अंतरराष्ट्रीय कानून के बेलाग उल्लंघन किया है।
ब्रिटेन का कहना है कि जो भी विदेशी नागरिक यूक्रेन में युद्धरत थे और पकड़े गए हैं, उन सभी को अंतरराष्ट्रीय कानून में युद्ध के दौरान पकड़े गए सैनिकों को मिलने वाली सुरक्षा का अधिकार है और उनके साथ अमानवीय व्यवहार नहीं किया जा सकता।
लड़ने पहुंचे विदेशी
24 फरवरी को रूस द्वारा हमला किए जाने के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने विदेशियों से अपने यहां आकर लड़ने की अपील की थी। उसके बाद 16 हजार से अधिक वॉलंटियर वहां पहुंच गए थे। कुछ युद्ध लड़ने के लिए पहुंचे तो कुछ मानवीय मदद के लिए काम करने गए थे।
यूक्रेन के राष्ट्रपति का कहना है कि दसियों हजारों यूक्रेनी नागरिक इस युद्ध में मारे जा चुके हैं। अकेले मारियोपोल में 21,000 से ज्यादा नागरिक मारे गए हैं। जेलेंस्की के मुताबिक यूक्रेन के 60 से 100 सैनिक रोज मारे जा रहे हैं। रूस के एक जनरल ने 25 मार्च को बताया था कि 1,351 रूसी सैनिक मारे गए थे। असल आंकड़े कहीं ज्यादा हो सकते हैं।