डीडीए की रिहायशी योजनाओं में दिल्ली वासियों को मिले वरीयता
दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के रिहायशी फ्लैट, प्लॉट आवंटन नीति की समीक्षा कर, दिल्ली वासियों को आरक्षण देने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है;
नई दिल्ली। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के रिहायशी फ्लैट, प्लॉट आवंटन नीति की समीक्षा कर, दिल्ली वासियों को आरक्षण देने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है। क्योंकि मौजूदा आवंटन नीति के तहत फ्लैट, प्लॉट के आवंटन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आवेदन मंगाए जाते हैं। ऐसा करते समय दिल्ली में पहले से रह रहे लोगों का कोई ध्यान नहीं रखा जाता। अब मांग हो रही है कि फ्लैट, प्लॉट ऐसे ही व्यक्ति को दिए जाने चाहिए जो कम से कम तीन साल से दिल्ली में रह रहा हो या यहां काम कर रहा हो।
इस बाबत केंद्रीय खेल मंत्री विजय गोयल ने उपराज्यपाल से कहा है कि यदि इस नीति को पूरी तरह लागू करने में कोई कठिनाई हो तो 20 प्रतिशत फ्लैट, प्लॉट बाहरी लोगों को दिए जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के मध्य और निम्न आय वर्ग के लोगों के हितों की रक्षा के लिए डीडीए की रिहायशी संपत्तियों की आवंटन नीति की समीक्षा अनिवार्य है। अमीर लोग तो निजी बिल्डरों से भी संपत्ति खरीद सकते हैं, लेकिन घर का सपना साकार करने के लिए इन वर्गों के लोग पूरी तरह डीडीए पर ही निर्भर करते हैं क्योंकि यही एकमात्र संस्था है जो उचित कीमत पर घर उपलब्ध करवाती है।
श्री गोयल ने कहा कि दिल्ली में फिलहाल 30-40 लाख लोग अपने घर की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे हैं। लेकिन डीडीए की अनुचित आवंटन नीति के कारण ज्यादातर फ्लैट, प्लॉट ऐसे लोगों को दे दिए जाते हैं जो दिल्ली में रहते ही नहीं और जिनका मकसद इसके जरिए सिर्फ पैसा कमाना होता है।
उन्होंने डीडीए की आवंटन नीति को त्रुटिपूर्ण बताते हुए कहा कि ये दिल्ली वालों के साथ अन्याय है तो वहीं डीडीए पर भी बोझ लाद देती है। उसकी हर योजना के लिए लाखों आवेदन आते हैं जिनकी उचित देखभाल और असफल आवंटियों को पंजीकरण राशि की वापसी के लिए डीडीए को काफी मेहनत करनी पड़ती है।
श्री गोयल ने कहा कि दिल्ली सरकार ने बुजुर्गों, महिलाओं और अविवाहित लड़कियों के कल्याण के लिए चलाई जा रही अनेक योजनाओं में दिल्ली वालों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया है। अगर उनमें आरक्षण दिया जा सकता है तो डीडीए की योजनाओं में क्यों नहीं?