डीडीए ने सुझाव देने के लिए मांगा समय, भाजपा-कांग्रेस ने दिए सुझाव
राजधानी में सीलिंग पर एक ओर जहां व्यापारी प्रस्तावित संशोधन को नाकाफी बता रहे हैं वहीं डीडीए ने भी आपत्तियां, सुझाव देने के लिए सात फरवरी तक समय सीमा बढ़ा दी;
नई दिल्ली। राजधानी में सीलिंग पर एक ओर जहां व्यापारी प्रस्तावित संशोधन को नाकाफी बता रहे हैं वहीं डीडीए ने भी आपत्तियां, सुझाव देने के लिए सात फरवरी तक समय सीमा बढ़ा दी है। दूसरी ओर कांग्रेस भाजपा व निगम के नेताओं ने अपने अपने सुझाव देने शुरू कर दिए हैं।
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के स्थायी समिति के अध्यक्ष, तिलक राज कटारिया ने दिल्ली विकास प्राधिकरण को उनके फ्लैटों, ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों में छोटे दुकानों को अनुमति देने के संबंध में सुझाव दिया है।
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री हाउसिंग, पूर्व राज्यमंत्री अजय माकन ने डीडीए को भेजे सुझाव में कहा कि 22 जून 2007 के रेगूलेशन के द्वारा केलकुलेट किए गए कन्वर्जशन शुल्क साफ तौर पर यह दर्शाते है कि वार्षिक कन्वर्जन शुल्क 10 वर्ष के लिए थे तथा एकमुश्त दिए जाने वाले कन्वर्जन शुल्क वार्षिक कन्वर्जन शुल्क के 8 गुणा थे। इसलिए 10 वर्षों से अधिक लिया जाने वाला कन्वर्जन शुल्क न्यायसंगत नही है। उन्होने कहा कि दिल्ली सरकार के अलावा डीडीए को भी संबधित लोकल बॉडी की सिफारिशों को अधिसूचित करने की मंजूरी मिलनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सड़कों को अधिसूचित करने की शक्ति दिल्ली सरकार के पास है परंतु राजनीतिक मतभेद के चलते दिल्ली की 351 सड़के नोटिफाई नही हो पा रही है जिसके कारण सही उपभोक्ताओं को परेशानी हो रही है।
उन्होने अपने सुझाव में कहा कि 1962 से पहले के अधिकांश लोकल शॉपिंग सेन्टर या शॉप-कम-रेजीडेंस। इन लोकल शॉपिंग सेन्टर के आसपास पार्किंग की जगह चिन्हिंत की गई थी। जिस समय ये बनाए गए थे। एलएससी या शॉप.कम रेसीडेन्स दिल्ली की पुरानी नेबरहुड मार्केट है व 1962 के मास्टर प्लान के पेज 61 पर उनको लिबरल एफएआर दिया गया था। तथा 1962 के मास्टर प्लान में पहले से ही एलएससी या शॉप.कम रेसीडेन्स को कम से कम 250 एफएआर मिला हुआ था।
इसलिए उनसे अतिरिक्त एफएआरध्कन्वर्जन पर शुल्क नही वसूल सकते हैं। दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने आज केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, हरदीप सिंह पुरी को दिल्ली में चल रही सीलिंग की समस्या के कारणों और उनके समाधान को लेकर 10 सुझावों का एक विस्तृत पत्र लिखा व डीडीए में अपनी आपत्तियां दर्ज करवाईं। केंद्र सरकार एवं नगर निगमों ने व्यापारियों को राहत देने के साथ-साथ भविष्य में दिल्ली के संरक्षण के लिये पहले भी उपाय प्रारम्भ किये हैं अत: भारत सरकार भारत के एटॉर्नी जनरल से सीलिंग स्थगित करने का अनुरोध करें।
कन्वर्जन चार्ज नियमों में संशोधन किये जायें। दिल्ली के नगर निगमों ने ब्याज एवं जुर्माना माफ करने के लिये प्रस्ताव पारित किये हैं जिन्हें केंद्र सरकार नोटिफाई करे। 106 लोकल शॉपिंग सेंटर पर लगने वाले कन्वर्जन चार्ज को कालोनी केटेगरी वाइस लागू किया जाये। एलएससी में स्थित दुकानों के अलावा कमर्शियल, मिक्स लैंड एवं पेडेस्ट्रियन शॉपिंग स्ट्रीट पर बनी दुकानों को पार्किंग की शर्त से मुक्त किया जाये। इनसे अतिरिक्त पार्किंग शुल्क वसूल लिया जाये। दिल्ली में वर्तमान में दो तरह के ही भवन नक्शे स्वीकृत किये जाते हैं कमर्शियल एवं रिहायशी दोनों में ही स्टिल्ट पार्किंग अनिवार्य कर दी गई है, जिसके चलते अवैध निर्माण होता है। अत: दिल्ली में चार तरह के भवन नक्शे स्वीकृत किये जायें रिहायशी, कॉमर्शियल, मिक्सड लैंड प्रयोग एवं स्पेशल एरिया विशेष।
उन्होने कहा कि खतरनाक भवनों को छोड़कर सभी वर्तमान भवनों का यथास्थिति नियमितिकरण 350 एफ एआार के आधार पर रिहायशी के लिये और 300 एफएआर के साथ कॉमर्शियल भवनों के लिये कर दिया जाये। मास्टर प्लॉन 2021 में संशोधन कर पार्किंग के विकास के लिये डीडीए एवं नगर निगमों को बाध्य किया जाये।
नगर निगम एवं डीडीए मैदानों एवं पार्कों के नीचे पार्किंग विकसित करने के प्रयास करें। नगर निगम इंफ्रा फंड का प्रयोग कर आवश्यकता अनुसार भूमि अधिग्रहण भी कर सकते हैं। मेट्रो ने अनेक जगह यह किया है। सभी वर्तमान भवनों में बेसमेंटों में व्यापारिक गतिविधियों को अनुमति दी जाये, सिवाय रेस्टॉरेंट के। ऐसे बेसमेंट स्वामी जो नियमों की अवहेलना कर रहे हों उन्हें ठीक करने या वहां से व्यापार हटाने के लिये एक वर्ष का समय दिया जाये।
कृषि भूमि पर चल रहे गोदामों को नियमित किया जाये और क्योंकि इन क्षेत्रों में आबादी कम है अत: गाड़ियों, मार्बल, बिल्डिंग मटेरियल के गोदाम और शो रूम यहां स्थापित किये जा सकते हैं। दिल्ली के घरेलू उद्योग को नियमित की जाए। दिल्ली में सरकारी टैक्स विभागों के पंजीकरण ने अप्रत्यक्ष रूप से अनधिकृत क्षेत्रों में व्यापार के विस्तार में अब तक सहयोग दिया है।
भविष्य में अनधिकृत क्षेत्रों में व्यापार के विस्तार को रोकने के लिये ऐसे नियम बनाये जायें जिनके चलते अनधिकृत क्षेत्रों में कोई भी व्यापारिक टैक्स पंजीकरण न दिया जाये।