दांडी मार्च के 89 साल पूरे होने पर मोदी ने कहा- गांधीजी चाहते थे कांग्रेस भंग हो जाए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी के डांडी मार्च की वर्षगांठ पर ब्लॉग लिखकर मौजूदा कांग्रेस पर निशाना साधा है;
नई दिल्ली । लोकसभा चुनाव 2019 के लिए प्रधानमंत्री के घरेलू मैदान से कांग्रेस के चुनाव अभियान शुरू करने के दिन ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ब्लॉग के जरिए देश को बताया कि महात्मा गांधी कांग्रेस को स्वतंत्रता के तत्काल बाद ही भंग करना चाहते थे। गांधी जी और 80 सत्याग्रहियों द्वारा द्वारा 1930 में आज ही के दिन शुरू की गई डांडी यात्रा की 89वीं वर्षगांठ के अवसर पर मोदी ने कहा कि कांग्रेस गांधी जी के सिद्धांतों के एकदम विपरीत है।
Tributes to Bapu and all those who marched with him to Dandi in pursuit of justice and equality.
Sharing a few thoughts on the Dandi March, the ideals of Bapu and his disdain for the Congress culture in my blog.https://t.co/QVuDNCZoXL
गुजरात में साबरमती आश्रम से समुद्र तटीय गांव डांडी तक पैदल मार्च कर 'मुट्ठी भर नमक से ब्रिटिश साम्राज्य को हिलाकर रख देने वाले' गांधी जी का अभिवादन करते हुए मोदी ने कहा, "यद्यपि डांडी मार्च अनैतिक नमक कानून के खिलाफ शुरू किया गया था, लेकिन इससे ब्रिटिश सरकार की जड़ें हिल गईं और यह अन्याय और असमानता के खिलाफ लड़ाई का सबसे बड़ी प्रतीक बन गया।"
जब एक मुट्ठी नमक ने अंग्रेजी साम्राज्य को हिला दिया !https://t.co/QVuDNCZoXL
अपने ब्लॉग पर मोदी ने अपने पाठकों से पूछा, "क्या आपको पता है कि डांडी यात्रा की योजना बनाने में मुख्य भूमिका किसकी थी?"
उन्होंने कहा, "वह महान सरदार पटेल थे जिन्होंने 390 किलोमीटर लंबी डांडी यात्रा के प्रत्येक मिनट की योजना बनाने में मुख्य भूमिका निभाई थी।"
उन्होंने कहा, "गांधी जी ने अपने कई कार्यो के माध्यम से बताया कि वे असमानता और जातिगत भेदभाव पर विश्वास नहीं करते। दुखद है कि कांग्रेस ने समाज को बांटने में कभी संकोच नहीं किया।"
मोदी ने गांधी जी के विचारों और कांग्रेस की संस्कृति के विरोधाभासी बिंदुओं का उल्लेख करते हुए कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा, "सबसे भयानक जातिगत दंगे और दलित-विरोधी नरसंहार कांग्रेस के शासन में हुए।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि गांधी जी कांग्रेस की संस्कृति को बहुत अच्छे से समझते थे, "और इसीलिए वे कांग्रेस को भंग करना चाहते थे, विशेष रूप से 1947 के बाद।"
उन्होंने याद किया कि कैसे ब्रिटिश सरकार सरदार साहेब से डरी हुई थी कि डांडी यात्रा से कुछ समय पहले उसने सरदार पटेल को यह सोचकर गिरफ्तार कर लिया कि शायद गांधी जी इससे डर जाएंगे।
उन्होंने कहा, "हालांकि, ऐसा कुछ नहीं हुआ। उपनिवेशवाद से लड़ने का महान लक्ष्य सब पर भारी रहा।"
उन्होंने कहा, "गांधी जी ने हमें समाज के सबसे पिछड़े व्यक्ति की दुर्दशा के बारे में सोचना सिखाया और साथ ही यह सोचना सिखाया कि हमारे कार्यो से उस पर क्या प्रभाव पड़ेगा।"
उन्होंने कहा, "यह कहते हुए मुझे गर्व हो रहा है कि हमारी सरकार के काम के सभी पहलुओं में गरीबी हटाने और समृद्धि लाने के बारे में विचार किया जा रहा है।"