आर-पार की लड़ाई लड़ने तैयारी में भू-विस्थापित

एनटीपीसी लारा परियोजना वास्तव में क्षेत्र के लिए एक वरदान साबित होता यदि शासन द्वारा पारित सभी नियम कानूनों का पारदर्शी रूप एवं अनिवार्यता से लागू किया जाता;

Update: 2018-06-27 13:14 GMT

एनटीपीसी प्रबंधन से बात करने बन रही रणनीति 
रायगढ़ । एनटीपीसी लारा परियोजना वास्तव में क्षेत्र के लिए एक वरदान साबित होता यदि शासन द्वारा पारित सभी नियम कानूनों का पारदर्शी रूप एवं अनिवार्यता से लागू किया जाता। परंतु क्षेत्र की जनता आज एनटीपीसी को अपने लिए एक अभिशाप समझती है, जनता कहती है की एनटीपीसी आने से पूर्व हम ज्यादा सुखी थे। 

अपने पूर्वजों की खेती को लेकर हम खुश थे, अपने खेतों की हरियाली को लेकर हम खुश थे। परंतु आज हमारे पूर्वजों की संपत्ति खो गई और हमारे खेतों की हरियाली कहीं गुम हो गई। यह दुख भरी दास्तां है एनटीपीसी परियोजना भू-विस्थापितों का जो अपने अधिकार को लेकर हड़ताल चौक छपोरा पर लगातार 98 दिन धरना पर बैठे हुए हैं।

वाकई महारत्न कंपनी कहीं जाने वाली एनटीपीसी लारा परियोजना भू-विस्थापितों को रास नहीं आ रही है। स्थिति स्पष्ट है जहां भू-विस्थापितों की अधिग्रहित जमीन को अपात्र बता कर उन्हें पुनर्वास लाभ से वंचित किया जा रहा है। वहीं पुनर्वास नियमों के पालन में भी पारदर्शिता नहीं बऱती जा रही है।

आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि कुल 2571 खाताधारकों में 18 सौ लोगों को पुनर्वास का लाभ दिया गया। जबकि 800 विस्थापित पुनर्वास के लिए अभी भी तरस रहे हैं। 1800 के आंकड़ों में यह स्थिति है कि कई मापदंडों पर पुनर्वास से वंचित 800 के कई स्थानीय विस्थापित खरे उतरते हैं और संपूर्ण दस्तावेज कानूनी प्रक्रिया 1800 भू-विस्थापितों के समान हैं। कई मामले तो ऐसे हैं।

जिनमें एक पिता के दो संतान में से एक संतान को पात्र एवं दूसरे को अपात्र घोषित किया गया है। उपरोक्त स्थिति के अलावा क्षेत्र में सीएसआर विकास के नाम पर केवल दिखावा हो रहा है। भू- विस्थापितों का कहना है कि पेयजल की समस्या पीएपी कार्ड, स्वास्थ्य, शिक्षा इन सभी मामले मे एनटीपीसी केवल खाना पूर्ति के लिए सीएसआर मत का उपयोग कर व्यापक भ्रष्टाचार कर रहा है।

यहां की प्रभावी जनता त्रस्त है, केवल एनटीपीसी प्रबंधन और दलाल मस्त है। इन सब मुद्दों को लेकर 20 मार्च 2018 से चल रहा हड़ताल थमने का नाम नहीं ले रहा। वहीं अल्टीमेटम भी एनटीपीसी प्रबंधन के होश उड़ा रहा है, जिसमें भूविस्थापितों ने 10 दिनों के अंदर में समस्या का समाधान नहीं होने पर उग्र हड़ताल करने की बाध्यता बताया है।

इसकी तैयारी भी पूरे प्रभावित नौगांव में जोर-शोर से कर रहे हैं। जगह जगह बैठकर जनसभा समर्थन रैली जैसे व्यापक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं और इसका प्रभाव देखने को भी मिल रहा है। इसी क्रम में आज बोड़ाझरिया में बैठक की गई। भू-विस्थापितो ने जल्द ही उग्र आंदोलन की तिथि निश्चित करने की बात कही है।

देखना दिलचस्प होगा की अपने अधिकारों को लेकर इतने लंबे समय से बैठे हुए विस्थापितों का अगला कदम क्या होगा?

जर्जर स्कूल के मामले में युवक कांगे्रस ने खोला मोर्चा 
दो दिन पहले जूटमिल इलाके में स्थित सरकारी स्कूल की छत का एक हिस्सा अचानक गिर जाने से कक्षा 3 में पढ़ रहे दो बच्चे बुरी तरह घायल होनें के बाद अब युवक कांगे्रस शहर की अन्य सरकारी स्कूलों की जर्जर हालत को लेकर मोर्चा खोलते हुए नगर निगम को ज्ञापन सौंपते हुए यह मांग की है कि नया शिक्षा सत्र प्रारंभ होनें के बाद भी निगम ने स्कूलों की हालत में सुधार लाने के लिए कोई पहल नही की।

इतना ही नही शहर के अधिकांश सरकारी स्कूलों के भवन की हालत बद से बदतर है और इनकी देखरेख का जिम्मा नगर निगम के उपर होनें के बाद भी निगम के अधिकारी इस ओर ध्यान नही दे रहे हैं जिसके चलते स्कूल खुलते ही अब दुर्घटनाओं का दौर शुरू हो गया है।

युवक कांगे्रस के प्रदेश सचिव का यह आरोप है कि स्कूलों के भवन की जर्जर हालत के मामले में नगर निगम प्रशासन अगर ईमानदारी से जांच करे तो बच्चों को असमय दुर्घटना से बचाया जा सकता है साथ ही साथ कोई बड़ी दुर्घटना न हो इसके लिए भी ध्यान देना चाहिए।

वहीं निगम महापौर ने भी माना कि पर्याप्त फंड नगर निगम के पास है तब पर भी अधिकारी स्कूलों के मरम्मत के मामले में गंभीर नही हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ऐसे स्कूलों की मरम्मत का काम तत्काल शुरू कर देना चाहिए ताकि वहां पढ़ने वाले बच्चों को दुर्घटना से बचाया जा सके।

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